tag:blogger.com,1999:blog-13141202818201413692024-03-16T00:08:27.252-07:00Reshma Bhabhivaibhavhttp://www.blogger.com/profile/01652022498729782173noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1314120281820141369.post-61908009472492076642010-04-03T23:05:00.000-07:002010-04-03T23:07:37.627-07:00कहानी कैसे भेजें .º कहानी स्वरचित (मौलिक) और कम से कम 1000 शब्दों की होनी चाहिए। अगर आपकी कहानी ज्यादा लम्बी है और आप इसे दो भागों में प्रकाशित कराना चाहते हैं तो कहानी के दोनों भाग इकट्ठे ही भेजें।<br />º कहानी <b><span style="color:#ff0000;">नोट पैड Notepad</span></b> पर Phonetic देवनागरी लिपि (हिन्दी) में ही लिख कर UTF-8 Encoding से save करें। M.S.Word, Wordpad और Adobe Acrobat का प्रयोग ना करें !<br />º कहानी केवल *.txt Format में ही भेजें। अन्य Format ( File Type) जैसे *.doc, *.rtf, *.pdf स्वीकार नहीं किए जाएँगे !<br />º कहानी <b>18 साल से कम आयु के पात्र, पशु और बलात्कार पर आधारित नहीं होना चाहिए</b>।<br />º कहानी अपने आप में पूर्ण होनी चाहिए, अधूरी कहानी स्वीकार्य नहीं होगी।<br />º अपनी कहानी भेजते समय कृपया कहानी को अच्छा सा शीर्षक दें। पर 'मेरी कहानी', 'मेरी हिन्दी कहानी', 'मेरी सेक्स कहानी', 'माई स्टोरी', 'माई सेक्स स्टोरी', 'मेरी नई कहानी' जैसे नाम ना रखें। कहानी के शीर्षक को ही अपनी मेल का शीर्षक बनाएँ।<br />º एक मेल में केवल एक ही कहानी <a href="mailto:vaibhasharma888@gmail.com">vaibhasharma888@gmail.com</a> <b> पर भेजें!</b> <div>__________________</div>vaibhavhttp://www.blogger.com/profile/01652022498729782173noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1314120281820141369.post-44482210832113035052010-04-03T23:03:00.000-07:002010-04-03T23:04:03.555-07:00बॉय फ्रेंड ने की चुदाई .<p>मेरे पापा बहुत ही स्वार्थी हैं और हम तीन बहिने और एक भाई हैं। रिटायर होने के बाद वो हमारे दो कमरों के मकान के एक कमरे में ख़ुद रहने लगे और अपना सारा पैसा एक बक्से में चार चार ताले लगा के रखते थे यहाँ तक के मम्मी को घर घर जाकर काम करके खर्चा चलाना पड़ता था। मैं बहुत चुस्त थी, मासूम थी खेल कूद में तेज थी.</p><p>नागपुर में हुई हाफ़ मेराथन में मैंने भाग लिया और ४२वें स्थान पर रही, लड़कियों में १०वें स्थान पर रही। इसी वजह से मुझे जवाहर नवोदय विद्यालय में शारीरिक शिक्षा की अध्यापिका की नौकरी मिल गई। मेरी पोस्टिंग मणिपुर में हुई। उसके एक-डेढ़ साल के बाद मुझे केंद्रीय विद्यालय से शारीरिक शिक्षा की अध्यापिका की नौकरी का प्रस्ताव मिला और पोस्टिंग मिली उदयपुर, राजस्थान। मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं थी। मैंने सोचा था कि अब पहले अपनी छोटो बहिन की शादी करूंगी, फ़िर भाई बहिन को पढ़ाते हुए कोई अच्छा सा लड़का मिल गया तो शादी कर लूंगी।</p><p>मेरे ही स्कूल के प्राईमरी विभाग में एक अध्यापिका थी, उसका लड़का अतुल शादी शुदा था और दो बच्चों का बाप भी। लेकिन किसी प्राइवेट स्कूल में पार्ट टाइम नौकरी करता था। मैंने भावुकता में अपनी कहानी उस अध्यापिका को बता दी थी मुझे मालूम नहीं था कि वो उसका फायदा उठाने के लिए अपनी लड़के को मेरे पीछे लगा चुकी थी। धीरे धीरे अतुल ने मुझसे दोस्ती करनी शुरू कर दी। वो मेरे घर आता था और बाज़ार से अच्छी अच्छी चीजें लाता था खाने की।</p><p>क्योंकि मैं उदयपुर में अकेली ही मकान किराये पर लेकर रहती थी तो भी वो जब भी आता था बड़े अच्छे से पेश आता था। जिससे मुझे उसमें एक अच्छे दोस्त के गुण दिखने लगे। मुझे सेक्स के बारे में कुछ पता नहीं था। </p><p>एक दिन मैं मकान में अन्दर से कुन्डी लगाना भूल गई और स्कूल से आते ही नहाने चली गई, नहा कर तौलिया लपेट कर ही बाहर आ गई, बाहर आते ही अतुल को देख कर चौंक गई। और वापिस बाथरूम में चली गई। वहीं से अतुल से कहा की कमरे में बिस्तर पर रखे मेरे कपड़े मुझे दे दो। वो कपड़े लेकर आया और जैसे ही मैंने कपड़े लेने के लिए बाथरूम से हाथ बाहर निकाला उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कपड़ों के साथ बाथरूम में आ गया। मैं रो पड़ी मेरा रोना देख के वो दोनों हाथों से मेरे आँसू पौंछने लगा और फ़िर मुझे चुप करा के बाहर चला गया।</p><p>मैं कपड़े पहन कर बाहर आई। शर्म के मारे मैं अतुल से आँखें नहीं मिला पा रही थी। उसने प्यार से मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे गालों पर चूम लिया। मैं शरमा के रसोई में चली गई और दो कप चाय बना के ले आई। अतुल गरम गरम पकौड़े लेकर आया था हमने चाय पकौड़े खाए और फ़िर फ़िल्म देखने गए।</p><p>फ़िल्म देखते देखते अतुल के हाथ मेरे मम्मों पे फिसलने लगे मैंने झटके से उसके हाथ हटा दिए। लेकिन वह बार बार जब मेरे मम्मों परहाथ लगाने लगा तो मुझे भी मजा आने लगा। फ़िर उसने मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरी जांघें भी सहलाई, मुझे बड़ा मजा आने लगा था मैं समझ नहीं पा रही थी।</p><p>रास्ते में वापिस घर जाते हुए मैं उसके स्कूटर पे उससे चिपक के बैठी थी। वो मुझे घर छोड़ के चला गया और बोला कल मैं एक कैसेट लेकर आऊंगा तब तुम सब समझ जोगी। असली मजा क्या होता है।</p><p>उसके बाद अगले दिन वह ब्लू फ़िल्म की कैसेट लेकर आया और मुझे बोला- आओ इसका मजा लें।</p><p>मैं स्कूल से आकर नहा कर केवल स्कर्ट और स्लीवलेस टॉप पहने हुई थी। मैंने कहा- क्या पियोगे?</p><p>उसने कहा- आज तो मैं बियर लाया हूँ और साथ में गर्म गर्म पकौड़े और उबले हुए अंडे भी।</p><p>मैंने थोड़ा शरमाते हुए पूछा- ये ब्लू फ़िल्म क्या होती है?</p><p>उसने कहा- तुम प्लेयर में लगाओ तो ख़ुद ही समझ जाओगी।</p><p>मैंने कहा- तुम इसे लगाओ, मैं अंडे और पकौड़े प्लेट में डाल के लाती हूँ।</p><p>हम दोनों सोफे पे बैठ के फ़िल्म देखते हुए बियर के सिप लेने लगे। एक ग्लास ख़त्म हुआ तब तक फ़िल्म में एक लड़का और एक लड़की नंगे होकर एक दूसरे का भरपूर मजा लेने लगे थे मैंने पहली बार किसी लड़के के लण्ड को देखा था वो भी खड़ा और तना हुआ। लड़की उसे मुंह में लेकर चूस रही थी। मैंने शर्म से आँखे बंद करली अचानक अतुल को शरारत सूझी, उसने बियर से भरा एक गिलास मेरे टॉप पे डाल दिया।</p><p>मैंने घबरा कर टॉप उतार दिया और बाँहों से मेरे ब्रा में कसे हुए बूब्स को ढकने का प्रयास किया। अतुल ने मेरे दोनों हाथ खोल दिए और मेरे होठों पे अपने होठ रख दिए मेरे होठों पे किसी मर्द का पहला चुम्बन पा कर मैं सिहर गई। लेकिन मुझे अच्छा लगा था। </p><p>मैंने अतुल को धक्का दिया तभी देखा सामने टीवी पर लड़का अपना लण्ड लड़की की चूत में डाल कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा था और लड़की ऊ उउ हा अआः या ...। या..। फक मी फक मी फास्टर ..ऊऊ ओह्ह ऊ ओह्ह आवाजें निकाल रही थी।</p><p>अतुल ने बियर का एक एक गिलास और बनाया और हमने झटपट बियर ख़त्म की और स्नैक्स भी। अब तक मुझमें भी नारी सुलभ उत्तेजना भर चुकी थी। फ़िर भी मैं अतुल को ही पहल करने देना चाहती थी। उसने देर नहीं की, पहले उसने अपने पैंट और शर्ट उतारी और मात्र अंडरवियर में मेरे पास आ कर मुझे सोफे पर लेटा दिया और मेरे पूरे बदन पे चुम्बनों की बौछार कर दी।</p><p>मैं मस्ती से भर उठी...टीवी पे भी चुदाई तेज हो गई थी उस लड़की की आवाजें सुन कर मैंने भी अतुल से कहा ऊ ऊऊ ओह्ह डीयर अतुल मुझे जी भर के चोद दो आज।</p><p>अतुल तो तैयार था उसने मेरी ब्रा हटाई और कस के दायें हाथ से मेरे बाएं बोबे को मसलने लगा और अपनी होठों से मेरे दायें बोबे को चूसने लगा मेरा मजा बढ़ता ही ज़ा रहा था।</p><p>टीवी में चुदाई का एक सीन ख़त्म हो चुका था और लड़की ने लड़के के लण्ड का सारा रस अपने मुहँ में ले लिया था।</p><p>मेरे बदन को चूमता हुआ अतुल मेरी जांघों के बीच पहुँच गया था उसने मेरी पैंटी भी हटा दी थी और मेरी चूत को चाटने लगा था, कभी मेरे दाने को मुँह में लेकर जोर से चूस लेता था और मैं चूतड़ उठा उठा के उसके भीतर के मर्द को उकसा रही थी- हाँ हाँ यूँ ही राजा बहुत मजा आ रहा है !हीई ईइ ऊ ओह ऊऊऊ उह्ह् आ आआ आअ.।</p><p>तभी उसने मुझा खड़ा किया और मेरे मुँह में अपना लण्ड देकर बोला इसे चूसो मेरे ज़ान! इतनी होट केंडी तुमने आज तक नहीं चूसी होगी।</p><p>सच उसके लण्ड का सुपाड़ा बहुत मोटा था। एक बार तो मुझे थोड़ा ख़राब लगा, फ़िर देखा टीवी में लड़की ने फ़िर से लड़के के लण्ड को चूसना शुरू कर दिया था। उसे देखकर मैं भी फ़िर से हिम्मत जुटा कर उसका लण्ड थोड़ा थोड़ा मुँह में लेने लगी। उसने मेरे बाल पकड़ कर एक जोर का धक्का दिया और उसके पूरा लण्ड मेरे मुँह में गले तक चला गया। मैं चीखना चाहती थी पर आवाज मुँह में ही दब गई।</p><p>थोड़ी देर मुँह में लण्ड आगे पीछे करने के बाद उसने मुझे सीधा लेटाया और अपने लण्ड का सुपाड़ा मेरी गर्मागर्म चूत पे रख के बोला- अब आँखे बंद कर लो रानी अब जो मजा आएगा वो तुम्हे स्वर्ग का आनंद देगा। मैंने सचमुच आँखे बंद कर ली उसने धीरे से मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़ा और धीरे धीरे दो तीन धक्के दिए तब तक पूरा लण्ड अन्दर चला गया था, थोड़ा खून भी निकला था। मैं दर्द से छटपटा रही थी उसने मुझे कस के पकड़ रखा था और मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए थे।</p><p>कुछ देर टीवी में ध्यान लगाया। उन दोनों की दूसरी चुदाई देखकर और लड़की को हँसते हुए मजा लेते देख कर मेरे दर्द भी कम हो गया और फ़िर अतुल ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी। साथ ही बीच में वह मेरे बोबे दबा रहा था, चूस रहा था और जोर जोर से धक्के लगा रहा था।</p><p>मेरे मुँह से आह ..ऊउह् से हम...। ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्हूऊम्म्म्म्म्म्माआआअ./..। नुऊंनंह। य्य्याआआआआ द्द्द्दीईईईर्र्र्र्र्र्र्र्र्र चोदो ! आवाजें निकल रही थी </p><p>थोड़ी देर और धक्के लगाने के बाद अतुल ने मुझे घोड़ी बना लिया और फ़िर अपना लण्ड मेरी चूत में पीछे से डाल के धक्के लगाने लगा। मुझे अब ज्यादा मजा आ रहा था मैं जोर जोर से चिल्लाने लगी- ठीक है! हाँ यार! इसी तरह चोदो ! फाड़ डालो मेरी चूत को।</p><p>वह बोला तुम तो शरमा रही थी अब बोलो बहन की लौड़ी कितना मजा आ रहा है ! अतुल के धक्के तेज हो गए थे औए वह लगभग हांफ रहा थे और फ़िर उसने अपना लण्ड चूत से निकाल के मेरे मुँह में डाल दिया। उसके साथ ही उसके लण्ड से पिचकारी छूट गई। मैं पहले तो घबराई, फ़िर उसके वीर्य का स्वाद अच्छा लगने लगा था मैं सारा रस पी गई...!</p><p>तो दोस्तों इस तरह उसने डेढ़ घंटे में एक चुदाई पूरी की पर मेरी प्यास तो बढ़ गई थी अगली किश्त में मैं आपको बताउंगी कि कैसे उसने मजे देते हुए ३ घंटे तक चोदा और उसने क्या </p>vaibhavhttp://www.blogger.com/profile/01652022498729782173noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1314120281820141369.post-11732079964982687782010-04-03T22:57:00.000-07:002010-04-03T22:58:33.898-07:00शर्म की क्या बात .<p>यह बात तब की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था। मेरी कक्षा की एक लड़की जिसका नाम शिवानी था, दिखने में बहुत सुन्दर थी। उसे देखकर किसी भी लड़के का लण्ड खड़ा हो सकता था।</p><p>हम दोनों में अच्छी दोस्ती थी। हम लोग कक्षा में आगे-पीछे ही बैठते थे। हम दोनों एक-दूसरे को खूब चिढ़ाते थे। मैंने कभी भी उसे उस नज़र से नहीं देखा था, पर एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि...</p><p>हुआ यह कि उसकी तबीयत ख़राब हो गई थी। डॉक्टर ने उसे २ हफ्ते तक आराम करने की सलाह दी थी। इसी कारण उसका स्कूल का काम छूट गया था। लगभग २ हफ्तों के बाद जब वह स्कूल आई तो उसने मुझसे कहा कि मेरा काम अधूरा है और उसे मेरी मदद चाहिए, क्योंकि मैं अपनी कक्षा का सर्वश्रेष्ठ पढ़ाकू भी था, साथ ही उसका घर मेरे घर के समीप भी था। मैंने भी उससे कह दिया कि आज स्कूल के बाद साथ में ही चलेंगे मेरे घर, वहीं तुम काम कर लेना।</p><p>छुट्टी के बाद हम दोनों घर जा रहे थे। चूँकि वह जुलाई का महीना था, अचानक बारिश शुरु हो गई। उसके सारे कपड़े गीले हो गए, जिससे उसकी चूचियाँ साफ दिख रहीं थीं।</p><p>ज़्यादा भीग जाने के कारण मैंने उससे कहा- जाओ अपने घर जाकर कपड़े बदल लो।</p><p>पर उसने कहा- मेरे घर पर आज कोई नहीं होगा और ताला लगा होगा।</p><p>मैंने कहा, ठीक है, चलो फिर मेरे घर।</p><p>मैं पहले बता दूँ कि मैं लगभग रात के ८ बजे तक अकेले रहता हूँ, क्योंकि मेरे मम्मी, पापा और दीदी तीनों ही नौकरी पर चले जाते हैं।</p><p>घर पहुँच मैंने उसे अपनी बहन के कपड़े दे दिए। चूँकि दोनों लगभग बराबर ही थीं उसे मेरी बहन के कपड़े ठीक-ठाक आ गए। उसने मुझसे कहा कि अपना मोबाईल दे दो, मैं अपनी मम्मी को बता दूँ कि मैं तुम्हारे घर पर हूँ। मैंने उसे मोबाईल दे दिया और ख़ुद कपड़े बदलने चला गया।</p><p>मैं जब १५ मिनटों के बाद आया तो मैंने देखा कि वह मेरे मोबाईल में ब्लू-फिल्म की क्लिप देख रही है। मैं डर गया कि कहीं वह गुस्सा ना हो जाए।</p><p>मुझे देखकर उसने जल्दी से वीडियो बन्द कर दी। मैंने उससे पूछा कि क्या देख रही थी, तो वह शरमा गई।</p><p>मैंने हिम्मत से काम लेते हुए उससे कहा- इसमें शरम की क्या बात। ब्लू-फिल्म देखकने में कोई बुराई नहीं।</p><p>मैं उससे पूछा - "मज़ा आया?"</p><p>तो उसने धीरे से हाँ कहा।</p><p>मैंने कहा- चलो साथ में देखते हैं। मोबाईल पे तो छोटी है, चलो कम्प्यूटर पर दिखाता हूँ।</p><p>मैंने कम्प्यूटर चालू करके उसपर एक ब्लू-फिल्म चालू कर दी। हम लोग साथ में लेट कर ब्लू-फिल्म देखने लगे।</p><p>वह गरम होने लगी। उसकी चूचियाँ एकदम कड़ी हो गईं थीं, मैं ग़ौर कर रहा था। मैंने धीरे से उसके पैरों पर हाथ रख दिया और वह कुछ ना बोली।</p><p>यह देख मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने उसकी चूचियाँ दबा दीं, और उसके होठों पर चुम्बन ले लिया। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी, वह उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। इधर साथ में मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था। मेरा लण्ड उसकी चूत पर टकरा कर एक रॉड की तरह कड़क हो गया था और जीन्स फाड़ कर बाहर आना चाह रहा था।</p><p>मैंने उसकी टॉप उतार दी। उसने ब्रा नहीं पहनी थी, उसकी छोटी-छोटी चूचियाँ देखकर मैं पागल हो गया। मैं उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा। उसके मुँह से सिसकियाँ निकल रहीं थीं। मैंने अपना हाथ जब उसकी स्कर्ट में डाला तो जाना कि उसकी पैन्टी पूरी गीली थी। वह शायद झड़ चुकी थी। मैंने उसकी स्कर्ट और पैन्टी उतार दी और उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत एकदम गुलाबी और बिना बालों की थी।</p><p>उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वह कहे जा रही थी, "और ज़ोर से चूस... और ज़ोर से..."</p><p>मैंने चूसना बन्द कर दिया। वह गिड़गिड़ाने लगी कि प्लीज़ चूसो... </p><p>मैंने कहा कि उसके लिए तुम्हे मेरा लंड चूसना पड़ेगा तो उसने हमी भर दी। मैंने उससे कहा कि मेरा लण्ड निकाल लो। उसने मेरी जीन्स और अण्डरवियार निकाल दी और मेरे लण्ड को चूसने लगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। हम 69 की मुद्रा में आ गए।</p><p>जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, तो मैंने उसके मुँह को चोदना शुरु कर दिया। इतने में वह झड़ गई। मैं भी झड़ गया, उसका पूरा मुँह मेरे जूस से भर गया।</p><p>थोड़ी देरे में मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैंने उसे लिटा दिया और उसके पैर फैला दिए। मेरा लण्ड हल्का सा ही घुसा था कि वह चिल्लाने लगी कि छोड़ दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है और वह रोने लगी। पर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।</p><p>कुछ देर के बाद उसे भी मज़ा आने लगा था और वह कह रही थी - "फक मी अंकित... फक मी... फक मी हार्डर..."</p><p>थोड़ी देर में हम दोनों साथ में झड़ गए।</p><p>मैंने उसेक बाद उसे खूब चूमा, और फिर से उसकी चूत मारी।</p><p>मैंने उसकी गाँड भी मारी</p>vaibhavhttp://www.blogger.com/profile/01652022498729782173noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1314120281820141369.post-75823381009034679872010-04-03T22:54:00.001-07:002010-04-03T22:54:44.725-07:00मेरी प्यासी बहना .<p>मेरे जीजू और दीदी नासिक में नई नौकरी लगने के कारण मेरे पास ही आ गये थे। मैंने यहां पर एक छोटा सा घर किराये पर ले रखा था। मेरी दीदी मुझसे कोई दो साल बड़ी थी। मेरे मामले में वो बड़ी लापरवाह थी। मेरे सामने वो कपड़े वगैरह या स्नान करने बाद यूँ आ जाती थी जैसे कि मैं कोई छोटा बच्चा या नासमझ हूँ।</p><p>शादी के बाद तो दीदी और सेक्सी लगने लगी थी। उसकी चूंचियां भारी हो गई थी, बदन और गुदाज सा हो गया था। चेहरे में लुनाई सी आ गई थी। उसके चूतड़ और भर कर मस्त लचीले और गोल गोल से हो गये थे जो कमर के नीचे उसके कूल्हे मटकी से लगते थे। जब वो चलती थी तो उसके यही गोल गोल चूतड़ अलग अलग ऊपर नीचे यूँ चलते थे कि मानो... हाय ! लण्ड जोर मारने लगता था। जब वो झुकती थी तो बस उसकी मस्त गोलाईयां देख कर लण्ड टनटना जाता था। पर वो थी कि इस नामुराद भाई पर बिजलियां यूं गिराती रहती थी कि दिल फ़ड़फ़ड़ा कर रह जाता था।</p><p>बहन जो लगती थी ना, मन मसोस कर रह जाता था। मेरे लण्ड की तो कभी कभी यह हालत हो जाती थी कि मैं बाथरूम में जा कर उकड़ू बैठ कर लण्ड को घिस घिसकर मुठ मारता था और माल निकलने के बाद ही चैन आता था।</p><p>मैंने एक बार जाने अनजाने में दीदी से यूं ही मजाक में पूछ लिया। मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो मेरे पास ही कपड़े समेट रही थी। उसके झुकने से उसकी चूंचियां उसके ढीले ढाले कुरते में से यूं हिल रही थी कि बस मेरा मुन्ना टन्न से खड़ा हो गया। वो तो जालिम तो थी ही, फिर से मेरे प्यासे दिल को झकझोर दिया।</p><p>"कम्मो दीदी, मुझे मामा कब बनाओगी...?"</p><p>"अरे अभी कहां भैया, अभी तो मेरे खाने-खेलने के दिन हैं !" उसने खाने शब्द पर जोर दे कर कहा और बड़े ठसके से खिलखिलाई।</p><p>"अच्छा, भला क्या खाती हो ?" मेरा अन्दाज कुछ अलग सा था, दिल एक बार फिर आशा से भर गया। दीदी अब सेक्सी ठिठोली पर जो आ गई थी।</p><p>"धत्त, दीदी से ऐसे कहते हैं...? अभी तो हम फ़ेमिली प्लानिंग कर रहे हैं !" दीदी ने मुस्करा कर तिरछी नजर से देखा, फिर हम दोनों ही हंस पड़े। कैसी कन्टीली हंसी थी दीदी की।</p><p>"फ़ेमिली प्लानिंग में क्या करते हैं ?" मैंने अनजान बनते हुये कहा। मेर दिल जैसे धड़क उठा। मै धीरे धीरे आगे बढ़ने की कोशिश में लगा था।</p><p>"इसमें घर की स्थिति को देखते हुये बच्चा पैदा करते हैं, इसमें कण्डोम, पिल्स वगैरह काम में लेते हैं, मैं तो पिल्स लेती हूँ... और फिर धमाधम चुद ... , हाय राम !" शब्द चुदाई अधूरा रह गया था पर दिल में मीठी सी गुदगुदी कर गया। लण्ड फ़ड़क उठा। लगता था कि वो ही मुझे लाईन पर ला रही थी।</p><p>"हां ... हां ... कहो धमाधम क्या...?" मैंने जानकर शरारत की। उसका चेहरा लाल हो उठा। दीदी ने मुझे फिर तिरछी नजर देखा और हंसने लगी।</p><p>"बता दूँ... बुरा तो नहीं मानोगे...?" दीदी भी शरमाती हुई शरारत पर उतर आई थी। मेरा दिल धड़क उठा। दीदी की अदायें मुझे भाने लगी थी। उसकी चूंचियां भी मुझे अब उत्तेजक लगने लगी थी। वो अब ग्रीन सिग्नल देने लगी थी। मैं उत्साह से भर गया।</p><p>"दीदी बता दो ना..." मैंने उतावलेपन से कहा। मेरे लण्ड में तरावट आने लगी थी। मेरे दिल में तीर घुसे जा रहे थे। मैं घायल की तरह जैसे कराहने लगा था।</p><p>"तेरे जीजू मुझे फिर धमाधम चोदते हैं..." कुछ सकुचाती हुई सी बोली। फिर एकदम शरमा गई। मेरे दिल के टांके जैसे चट चट करके टूटने लगे। घाव बहने लगा। बहना खुलने लगी थी, अब मुझे यकीन हो गया कि दीदी के भी मन में मेरे लिये भावना पैदा हो गई है।</p><p>"कैसे चोदते हैं दीदी...?" मेरी आवाज में कसक भर गई थी। मुझे दीदी की चूत मन में नजर आने लगी थी... लगा मेरी प्यारी बहन तो पहले से ही चालू है ... बड़ी मर्द-मार... नहीं मर्द-मार नहीं ... भैया मार बहना है। उसे भी अब मेरा उठा हुआ लण्ड नजर आने लगा था।</p><p>"चल साले... अब ये भी बताना पड़ेगा?" उसने मेरे लण्ड के उठान पर अपनी नजर डाली और वो खिलखिला कर हंस पड़ी। उसकी नजर लण्ड पर पड़ते ही मैंने उसकी बांह पकड़ पर एक झटके में मेरे ऊपर उसे गिरा लिया। उसकी सांसें जैसे ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई और फिर उसकी छाती धड़क उठी। वो मेरी छाती पर थी।</p><p>मेरा छः इन्च का लण्ड अब सात इन्च का हो गया था। भला कैसे छिपा रह सकता था।</p><p>"दीदी बता दो ना..." उसकी गर्म सांसे मेरे चेहरे से टकराने लगी। हमारी सांसें तेज हो गई।</p><p>"भैया, मुझे जाने क्या हो रहा है...!"</p><p>"बहना ... पता नहीं ... पर तेरा दिल बड़ी जोर से धड़क रहा है ... तू चुदाई के बारे में बता रही थी ना ... एक बार कर के बता दे ... ये सब कैसे करते हैं...?"</p><p>"कैसे बताऊँ ... उसके लिये तो कपड़े उतारने होंगे... फिर ... हाय भैया..." और वो मुझसे लिपट गई। उसकी दिल की धड़कन चूंचियों के रास्ते मुझे महसूस होने लगी थी।</p><p>"दीदी... फिर... उतारें कपड़े...? चुदाई में कैसा लगता है?" मारे तनाव के मेरा लण्ड फ़ूल उठा था। हाय... कैसे काबू में रखूँ !</p><p>मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा। लण्ड उछाले मारने लगा। दीदी ने मेरे बाल पकड़ लिये और अपनी चूंचियां मेरी छाती पर दबा दी... उसकी सांसें तेज होने लगी।</p><p>मेरे माथे पर भी पसीने की बूंदें उभर आई थी। उसका चेहरा मेरे चेहरे के पास आ गया। उसकी सांसों की खुशबू मेरे नथुने में समाने लगी। मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर कस गये। उसका गाऊन ऊपर खींच लिया। मेरे होंठों से दीदी के होंठ चिपक गये। उसकी चूत मेरे तन्नाये हुये लण्ड पर जोर मारने लगी। उसकी चूत का दबाव मुझे बहुत ही सुकून दे रहा था।</p><p>आखिर दीदी ने मेरे मन की सुन ही ली। मैंने दीदी का गाऊन सामने से खोल दिया। उसकी बड़ी-बड़ी कठोर चूंचियाँ ब्रा में से बाहर उबल पड़ी। मेरा लण्ड कपड़ों में ही उसकी चूत पर दबाव डालने लगा। लगता था कि पैन्ट को फ़ाड़ डालेगा।</p><p>उसकी काली पैन्टी में चूत का गीलापन उभर आया था। मेरी अँडरवियर और उसकी पैन्टी के अन्दर ही अन्दर लण्ड और चूत टकरा उठे। एक मीठी सी लहर हम दोनों को तड़पा गई। मैंने उसकी पैन्टी उतारने के लिये उसे नीचे खींचा। उसकी प्यारी सी चूत मेरे लण्ड से टकरा ही गई। उसकी चूत लप-लप कर रही थी। मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी गीली चूत में अन्दर सरक गया। उसके मुख से आह्ह्ह सी निकल गई। अचानक दीदी ने अपने होंठ अलग कर लिये और तड़प कर मेरे ऊपर से धीरे से हट गई।</p><p>"नहीं भैया ये तो पाप है... हम ये क्या करने लगे थे !" मैं भी उठ कर बैठ गया।</p><p>जल्दबाज़ी में और वासना के बहाव में हम दोनों भटक गये थे। उसने अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा लिया। मुझे भी शर्म आ गई। उसके मुख की लालिमा उसकी शर्म बता रही रही थी। उसने मुँह छुपाये हुये अपनी दो अंगुलियों के बीच से मुझे निहारा और मेरी प्रतिक्रिया देखने लगी। उसके मुस्कराते ही मेरा सर नीचे झुक गया।</p><p>"सॉरी दीदी... मुझे जाने क्या हो गया था..." मेरा सर अभी भी झुका हुआ था।</p><p>"आं हां... नहीं भैया, सॉरी मुझे कहना चहिये था !" हम दोनों की नजरे झुकी हुई थी। दीदी ने मेरी छाती पर सर रख दिया।</p><p>"सॉरी बहना... सॉरी..." मैंने उसके माथे पर एक हल्का सा चुम्मा लिया और कमरे से बाहर आ गया। मैं तुरंत तैयार हो कर कॉलेज चला गया। मन ग्लानि से भर गया था। जाने दीदी के मन में क्या था। वह अब जाने क्या सोच रही होगी। दिन भर पढ़ाई में मन नहीं लगा। शाम को जीजाजी फ़ेक्टरी से घर आये, खाना खा कर उन्हें किसी स्टाफ़ के छुट्टी पर होने से नाईट शिफ़्ट में भी काम करना था। वो रात के नौ बजे वापस चले गये।</p><p>रात गहराने लगी। शैतान के साये फिर से अपने पंजे फ़ैलाने लगे। लेटे हुये मेरे दिल में वासना ने फिर करवट ली। काजल का सेक्सी बदन कांटे बन कर मेरे दिल में चुभने लगा। मेरा दिल फिर से दीदी के तन को याद करके कसकने लगा।</p><p>मेरा लण्ड दिन की घटना को याद करके खड़ा होने लगा था। सुपाड़े का चूत से मोहक स्पर्श रह रह कर लण्ड में गर्मी भर रहा था। रात गहराने लगी थी। लण्ड तन्ना कर हवा में लहरा उठा था। मैं जैसे तड़प उठा। मैंने लण्ड को थाम लिया और दबा डाला। मेरे मुख से एक वासनायुक्त सिसकारी निकल पड़ी। अचानक ही काजल ने दरवाजा खोला। मुझे नंगा देख कर वापस जाने लगी। मेरा हाथ मेरे लण्ड पर था और लाल सुपाड़ा बाहर जैसे चुनौती दे रहा था। मेरे कड़क लण्ड ने शायद बहना का दिल बींध दिया था। उसने फिर से ललचाई नजर से लण्ड को निहारा और जैसे अपने मन में कैद कर लिया।</p><p>"क्या हुआ दीदी...?" मैंने चादर ओढ़ ली।</p><p>"कुछ नहीं, बस मुझे अकेले डर लग रहा था... बाहर तेज बरसात हो रही है ना !" उसने मजबूरी में कहा। उसका मन मेरे तन्नाये हुये खूबसूरत लण्ड में अटक गया था। मैंने मौके का फ़ायदा उठाया। चादर एक तरफ़ कर दी और खड़े लण्ड के साथ एक किनारे सरक गया।</p><p>"आजा दीदी, मेरे साथ सो जा, यहीं पर...पर पलंग छोटा है !" मैंने उसे बताया।</p><p>मेरे मन के शैतान ने काजल को चिपक कर सोने का लालच दिया। उसे शायद मेरा लण्ड अपने जिस्म में घुसता सा लगा होगा। उसकी निगाहें मेरे कठोर लण्ड पर टिकी हुई थी। उसका मन पिघल गया... उसका दिल लण्ड लेने को जैसे मचल उठा।</p><p>"सच... आ जाऊँ तेरे पास... तू तौलिया ही लपेट ले !" उसकी दिल जैसे धड़क उठा। दीदी ने पास पड़ा तौलिया मुझे दे दिया। मैंने उसे एक तरफ़ रख लिया। वो मेरे पास आकर लेट गई।</p><p>"लाईट बन्द कर दे काजल..." मेरा मन सुलगने लगा था।</p><p>"नहीं मुझे डर लगता है भैया..." शायद मेरे तन की आंच उस तक पहुंच रही थी।</p><p>मैंने दूसरी तरफ़ करवट ले ली। पर अब तो और मुश्किल हो गया। मेरे मन को कैसे कंट्रोल करूँ, और यह लण्ड तो कड़क हो कर लोहा हो गया था। मेरा हाथ पर फिर से लण्ड पर आ गया था और लण्ड को हाथ से दबा लिया। तभी दीदी का तन मेरे तन से चिपक गया। मुझे महसूस हुआ कि वो नंगी थी। उसकी नंगी चूंचियां मेरी पीठ को गुदगुदा रही थी। उसके चूचक का स्पर्श मुझे साफ़ महसूस हो रहा था। मुझे महसूस हुआ कि वो भी अब वासना की आग में झुलस रही थी... यानी सवेरे का भैया अब सैंया बनने जा रहा था। मैंने हौले से करवट बदली... और उसकी ओर घूम गया।</p><p>काजल अपनी बड़ी बड़ी आंखों से मुझे देख रही थी। उसकी आंखों में वासना भरी हुई थी, पर प्यार भी उमड़ रहा था। लगता था कि उसे अब मेरा मोटा लण्ड चाहिये था। वो मुझे से चिपकने की पुरजोर कोशिश कर रही थी। मेरा कड़ा लण्ड भी उस पर न्योछावर होने के लिये मरा जा रहा था।</p><p>"दिन को बुरा मान गये थे ना..." उसकी आवाज में बेचैनी थी।</p><p>"नहीं मेरी बहना ... ऐसे मत बोल... हम तो हैं ही एक दूजे के लिये !" मैंने अपना लण्ड उसके दोनों पांवों के बीच घुसा दिया था। चूत तो बस निकट ही थी।</p><p>"तू तो मेरा प्यारा भाई है... शरमा मत रे !" उसने अपना हाथ मेरी गरदन पर लपेट लिया। मेरा लण्ड अपनी दोनों टांगों के बीच उसने दबा लिया था और उसकी मोटाई महसूस कर रही थी। उसने अपना गाऊन का फ़ीता खोल रखा था। आह्ह ... मेरी बहना अन्दर से पूरी नंगी थी। मुझे अब तो लण्ड पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था। उसने अपनी चूत मेरे लण्ड से चिपका दी। जैसे लण्ड को अब शांति मिली। मेरा मन फिर से उसे चोदने के लिये मचल उठा। मैंने भी उसे कस लिया और कुत्ते की तरह से लण्ड को सही स्थान पर घुसाने की कोशिश करने लगा।</p><p>"भैया ये क्या कर रहे हो... ये अब नीचे चुभ रहा है !" उसकी आवाज में वासना का तेज था। उसकी आंखें नशीली हो उठी थी। चूत का गीलापन मेरे लण्ड को भी चिकना किये जा रहा था।</p><p>"अरे यूं ही बस ... मजा आ रहा है !" मैंने सिसकी भरते हुये कहा। चूत की पलकों को छेड़ता हुआ, लण्ड चूत को गुदगुदाने लगा।</p><p>"देखो चोदना मत..." उसकी आवाज में कसक बढ़ती जा रही थी, जैसे कि लण्ड घुसा लेना चाहती हो। उसका इकरार में इन्कार मुझे पागल किये दे रहा था।</p><p>"नहीं रे... साथ सोने का बस थोड़ा सा मजा आ रहा है !" मैं अपना लण्ड का जोर उसकी चूत के आसपास लगा कर रगड़ रहा था। अचानक लण्ड को रास्ता मिल गया और सुपाड़ा उसकी रस भरी चूत के द्वार पर आ गया। हमारे नंगे बदन जैसे आग उगलने लगे।</p><p>"हाय रे, देखो ये अन्दर ना घुस जाये...बड़ा जोर मार रहा है रे !" चुदने की तड़प उसके चेहरे पर आ गई थी। अब लण्ड के बाहर रहने पर जैसे चूत को भी एतराज़ था।</p><p>"दीदी ... आह्ह्ह... नहीं जायेगा..." पर लण्ड भी क्या करे... उसकी चूत भी तो उसे अपनी तरफ़ दबा रही थी, खींच रही थी। सुपाड़ा फ़क से अन्दर उतर गया।</p><p>"हाय भैया, उफ़्फ़्फ़्फ़...मैं चुद जाऊँगी... रोको ना !" उसका स्वर वासना में भीगा हुआ था। इन्कार बढ़ता जा रहा था, साथ में उसकी चूत ने अपना मुख फ़ाड़ कर सुपाड़े का स्वागत किया।</p><p>"नहीं बहना नहीं... नहीं चुदेगी... आह्ह्ह... "</p><p>काजल ने अपने अधरों से अपने अधर मिला दिये और जीभ मेरे मुख में ठेल दी। साथ ही उसका दबाव चूत पर बढ़ गया। मेरे लण्ड में अब एक मीठी सी लहर उठने लगी। लण्ड और भीतर घुस गया।</p><p>"भैया ना करो ... यह तो घुसा ही जा रहा है... देखो ना... मैं तो चुद जाऊंगी !"</p><p>उसका भीगा सा इन्कार भरा स्वर जैसे मुझे धन्यवाद दे रहा था। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें मेरी आंखों को एक टक निहार रही थी। मुझसे रहा नहीं गया, मैंने जोर लगा कर लण्ड़ पूरा ही उतार दिया। वो सिसक उठी।</p><p>"दीदी, ये तो मान ही नहीं रहा है... हाय... कितना मजा आ रहा है...!" मैंने दीदी को दबाते हुये कहा। मैंने अपने दांत भींच लिये थे।</p><p>"अपनी बहन को चोदेगा भैया ... बस अब ना कर... देख ना मेरी चूत की हालत कैसी हो गई है... तूने तो फ़ोड़ ही दिया इसे !" मेरा पूरा लण्ड अपनी चूत में समेटती हुई बोली।</p><p>"नहीं रे... ये तो तेरी प्यारी चूत ही अपना मुह फ़ाड़ कर लण्ड मांग रही है, हाय रे बहना तेरी रसीली चूत...कितना मजा आ रहा है... सुन ना... अब चुदा ले... फ़ुड़वा ले अपनी फ़ुद्दी...!" मैंने उसे अपनी बाहों में ओर जोर से कस लिया।</p><p>"आह ना बोल ऐसे...मेरे भैया रे... उफ़्फ़्फ़्फ़" उसने साईड से ही चूत उछाल कर लण्ड अपनी चूत में पूरा घुसा लिया। मैं उसके ऊपर आ गया। ऊपर से उसे मैं भली प्रकार से चोद सकता था। हम दोनों एक होने की कोशिश करने लगे। दीदी अपनी टांगें फ़ैला कर खोलने लगी। चूत का मुख पूरा खुल गया था। मैं मदहोश हो चला।</p><p>मेरा लण्ड दे दनादन मस्ती से चूत को चोद रहा था। दीदी की सिसकारियाँ मुख से फ़ूट उठी। उसकी वासना भरी सिसकियाँ मुझे उत्तेजित कर रही थी। मेरा लण्ड दीदी की चूत का भरपूर आनन्द ले रहा था। मुझे मालूम था दीदी मेरे पास चुदवाने ही आई थी... डर तो एक बहाना था। बाहर बरसात और तेज होने लगी थी।</p><p>हवा में ठण्डक बढ़ गई थी। पर हमारे जिस्म तो शोलों में लिपटे हुये थे। दीदी मेरे शरीर के नीचे दबी हुई थी और सिसकियां भर रही थी। मेरा लण्ड उसकी चूत में भचाभच घुसे जा रहा था। उसकी चूत भी उछाले मार मार कर चुद रही थी।</p><p>तभी उसने अपना पोज बदलने के लिये कहा और वो पलट कर मेरे ऊपर आ गई। उसके गुदाज स्तन मेरे सामने झूल गये। मेरे हाथ स्वतः ही उसकी चूंचियां मसलने को बेताब हो उठे... उसने मेरे तने हुए लण्ड पर अपनी चूत को सेट किया और कहा,"भैया, बहना की भोसड़ी तैयार है... शुरु करें?" उसने शरारत भरी वासनायुक्त स्वर में हरी झण्डी दिखाई।</p><p>"रुक जा दीदी... तेरी कठोर चूंचियां तो दाब लू, फिर ...।" मैं अपनी बात पूरी करता, उसने बेताबी में मेरे खड़े लण्ड को अपनी चूत में समा लिया और उसकी चूंचियां मेरे हाथों में दब गई। फिर उसने अपनी चूत का पूरा जोर लगा दिया और लण्ड को जड़ तक बैठा दिया।</p><p>"भैया रे... आह पूरा ही बैठ गया... मजा आ गया !" नशे में जैसे झूमती हुई बोली।</p><p>"तू तो ऐसे कह रही है कि पहले कभी चुदी ही नहीं...!" मुझे हंसी आ गई।</p><p>"वो तो बहुत सीधे हैं... चुदाई को तो कहते हैं ये तो गन्दी बात है... एक बार उन्हें उत्तेजित किया तो..." अपने पति की शिकायत करती हुई बोल रही थी।</p><p>"तो क्या...?" मुझे आश्चर्य सा हुआ, जीजाजी की ये नादानी, भरी जवानी तो चुदेगी ही, उसे कौन रोक सकता है।</p><p>"जोश ही जोश में मुझे चोद दिया ... पर फिर मुझे हज़ार बार कसमें दिलाये कि किसी मत कहना कि हमने ऐसा किया है... बस फिर मैं नहीं चुदी इनसे..."</p><p>"अच्छा... फिर... किसी और ने चोदा..."</p><p>"और फिर क्या करती मैं ... आज तक मुझे कसमें दिलाते रहते है और कहते हैं कि हमने इतना गन्दा काम कर दिया है... लोग क्या कहेंगे... फिर उनके दोस्त को मैंने पटा लिया... और अब भैया तुम तो पटे पटाये ही हो।"</p><p>मुझे हंसी आ गई। तभी मेरी बहना प्यासी की प्यासी रह गई और शरम के मारे कुछ ना कह सकी... ये पति पत्नी का रिश्ता ही ऐसा होता है। यदि मस्ती में चूत अधिक उछाल दी तो पति सोचेगा कि ये चुद्दक्कड़ रांड है, वगैरह।</p><p>"सब भूल जाओ काजल... लगाओ धक्के... मेरे साथ खूब निकालो पानी..."</p><p>"मेरे अच्छे भैया...मैंने तो तेरा खड़ा लण्ड पहले ही देख लिया था... मुझे लगा था कि तू मेरी जरूर बजायेगा एक दिन...!" और मेरे से लिपट कर अपनी चूत बिजली की तेजी से चलाने लगी। मेरा लण्ड रगड़ खा कर मस्त हो उठा और कड़कने लगा। मेरे लण्ड में उत्तेजना फ़ूटने लगी। बहुत दिनों के बाद कोई चोदने को मिली थी, लग़ा कि मेरा निकल ही जायेगा। मेरा जिस्म कंपकपाने लगा... उसके बोबे मसलते हुये भींचने लगा। मेरा प्यासा लण्ड रसीला हो उठा। तभी मेरे लण्ड से वीर्य स्खलित होने लगा। दीदी रुक गई और मेरे वीर्य को चूत में भरती रही। जब मैं पूरा झड़ गया और लण्ड सिकुड़ कर अपने आप बाहर आ गया तो उसने बैठ कर अपनी चूत देखी, मेरा वीर्य उसकि चूत में से बह निकला था। मेरा तौलिया उसने अपनी चूत पर लगा लिया और एक तरफ़ बैठ गई। मैं उठा और कमरे से बाहर आ गया।</p><p>पानी से लण्ड साफ़ किया और मूत्र त्यागा। तभी मुझे ठण्ड से झुरझुरी आ गई। बरसाती ठण्डी हवा ने मौसम को और भी ठण्डा कर दिया था। मैं कमरे में वापस आ गया। देखा तो काजल भी ठण्ड से सिकुड़ी जा रही थी। मैंने तुरंत ही कम्बल निकाला और उसे औढ़ा दिया और खुद भी अन्दर घुस गया। मैं उसकी पीठ से चिपक गया। दो नंगे बदन आपस में चिपक गये और ठण्ड जैसे वापस दूर हो गई।</p><p>उसके मधुर, सुहाने गोल गोल चूतड़ मेरे शरीर में फिर से ऊर्जा भरने लगे। मेरा लण्ड एक बार फिर कड़कने लगा। और उसके चूतड़ों की दरार में घुस पड़ा। दीदी फिर से कुलबुलाने लगी। अपनी गान्ड को मेरे लण्ड से चिपकाने लगी।</p><p>"दीदी... ये तो फिर से भड़क उठा है..." मैंने जैसे मजबूरी में कहा।</p><p>" हां भैया... ये लण्ड बहुत बेशर्म होता है... बस मौका मिला और घुसा..." उसकी मधुर सी हंसी सुनाई दी।</p><p>"क्या करूँ दीदी..." मैंने कड़कते लण्ड को एक बार फिर खुला छोड़ दिया। अभी वो मेरी दीदी नहीं बल्कि एक सुन्दर सी नार थी ... जो एक रसीली चूत और सुडौल चूतड़ों वाली एक कामुक कन्या थी... जिसे विधाता ने सिर्फ़ चुदने के लिये बनाई थी।</p><p>"सो जा ना, उसे करने दे जो कर रहा है... कब तक खेलेगा... थक कर सो ही जायेगा ना !" उसकी शरारत भरी हंसी बता रही कि वो अपनी गाण्ड अब चुदाने को तैयार है।</p><p>"दीदी, तेरा माल तो बाकी है ना...?" मैं जानता था कि वो झड़ी नहीं थी।</p><p>"ओफ़ोह्ह्ह्ह... अच्छा चल माल निकालें... तू मस्त चुदाई करता है रे !" हंसती हुई बोली।</p><p>मैं दीदी की गाण्ड में लण्ड को और दबाव दिये जा रहा था। वो मुझे मदद कर रही थी। उसने धीरे से अपनी गाण्ड ढीली की और अपने पैर चौड़ा दिये। मैंने उसकी चूंचियां एक बार से थाम ली और उसके चूंचक खींच कर दबाने लगा।</p><p>"सुन रे थोड़ी सी क्रीम लगा कर चिकना कर दे, फिर मुझे लगेगी नहीं !"</p><p>मैंने हाथ बढ़ा कर मेज़ से क्रीम ले कर उसके छेद में और मेरे लण्ड पर लगा दी। लण्ड का सुपाड़ा चूतड़ों के बीच घुस कर छेद तक आ पहुंचा और छेद में फ़क से घुस गया। उसे थोड़ी सी गुदगुदी हुई और वो चिहुंक उठी। मैंने पीछे से ही उसके गाल को चूम लिया और जोर लगा कर अन्दर लण्ड को घुसेड़ता चला गया। वो आराम से करवट पर लेटी हुई थी। शरीर में गर्मी का संचार होने लगा था। <p>क्रीम की वजह से लण्ड सरकता हुआ जड़ तक बैठ गया। काजल ने मुझे देखा और मुस्करा दी।</p><p>"तकिया दे तो मुझे..." उसने तकिया ले कर अपनी चूत के नीचे लगा लिया।</p><p>"अब बिना लण्ड निकाले मेरी पीठ पर चढ़ जा और मस्ती से चोद दे !"</p><p>मैं बड़ी सफ़ाई से लण्ड भीतर ही डाले उसकी गाण्ड पर सवार हो गया। वो अपने दोनों पांव खोल कर उल्टी लेटी हुई थी... मैंने अपने शरीर का बोझ अपने दोनों हाथों पर डाला और अपनी छाती उठा ली। फिर अपने लण्ड को उसकी चूतड़ों पर दबा दिया। अब धीरे धीरे मेरा लण्ड अन्दर बाहर आने जाने लगा। उसकी गाण्ड चुदने लगी। वो अपनी आंखें बन्द किये हुये इस मोहक पल का आनन्द ले रही थी। मेरा कड़क लण्ड अब तेजी से चलने लग गया था। अब मैं उसके ऊपर लेट गया था और उसके बोबे पकड़ कर मसल रहा था। उसके मुख से मस्ती की किलकारियां फ़ूट रही थी...</p><p>काफ़ी देर तक उसकी गाण्ड चोदता रहा फिर अचानक ही मुझे ध्यान आया कि उसकी चूत तो चुदना बाकी है।</p><p>मैंने पीछे से ही उसकी गाण्ड से लण्ड निकाल कर काजल को चूत चोदने के कहा।</p><p>वो तुरन्त सीधी लेट गई और मैंने उसके चूतड़ों के नीचे तकिया सेट कर दिया। उसकी मोहक चूत अब उभर कर चोदने का न्यौता दे रही थी। उसकी भीगी चिकनी चूत खुली जा रही थी। मेरा मोटा लण्ड उसकी गुलाबी भूरी सी धार में घुस पड़ा।</p><p>उसके मुख से उफ़्फ़्फ़ निकल गई। अब मैं उसकी चूत चोद रहा था। लण्ड गहराई में उसकी बच्चे दानी तक पहुंच गया। वो एक बार तो कराह उठी।</p><p>मेरे लण्ड में जैसे पानी उतरने लगा था। उसकी तकिये के कारण उभरी हुई चूत गहराई तक चुद रही थी। उसे दर्द हो रहा था पर मजा अधिक आ रहा था। मेरा लण्ड अब उसकी चूत को जैसे ठोक रहा था। जोर की शॉट लग रहे थे। उसकी चूत जैसे पिघलने लगी थी। वो आनन्द में आंखे बंद करके मस्ती की सीत्कार भरने लगी थी। मुख से आह्ह्ह उफ़्फ़्फ़्फ़ और शायद गालियां भी निकल रही थी। चुदाई जोरों पर थी... अब चूत और लण्ड के टकराने से फ़च फ़च की आवाजें भी आ रही थी।</p><p>अचानक दीदी की चूत में जैसे पानी उतर आया। वो चीख सी उठी और उसका रतिरस छलक पड़ा। उसकी चूत में लहर सी चलने लगी। तभी मेरा वीर्य भी छूट गया... उसका रतिरस और मेरा वीर्य आपस में मिल गये और चिकनाई बढ़ गई। हम दोनों के शरीर अपना अपना माल निकालते रहे और एक दूसरे से चिपट से गये। अन्त में मेरा लण्ड सिकुड़ कर धीरे से बाहर निकलने लगा और उसकी चूत से रस की धार बाहर निकल कर चूतड़ की ओर बह चली। मैं एक तरफ़ लुढ़क गया और हांफ़ने लगा। दीदी भी लम्बी लम्बी सांसें भर रही थी... हम लेटे लेटे थकान से जाने कब सो गये। हमें चुदाई का भरपूर आनन्द मिल चुका था।</p><p>अचानक मेरी नींद खुल गई। दीदी मेरे ऊपर चढ़ी हुई थी और मेरे लण्ड को अपनी चूत में घुसाने की कोशिश कर रही थी।</p><p>"भैया, बस एक बार और... " बहना की विनती थी, भला कैसे मना करता। फिर मुझे भी तो फिर से अपना यौवन रस निकालना था। फिर जाने दीदी की नजरें इनायत कब तक इस भाई पर रहें।</p><p>मैंने अपनी अंगुली उसके होंठों पर रख दी और तन्मयता से सुख भोगने लगा। मेरे लण्ड ने उसकी चूत को गुडमोर्निंग कहा और फिर लण्ड और चूत दोनों आपस में फ़ंस गये... दीदी फिर से <p>मन लगा कर चुदने लगी... हमारे शरीर फिर एक हो गये... कमरा फ़च फ़च की आवाज से गूंजने लगा... और स्वर्ग जैसे आनन्द में विचरण करने लगे...</p><p>बारिश बन्द हो चुकी थी... सवेरे की मन्द मन्द बयार चल रही थी... पर यहां हम दोनों एक बन्द कमरे में गदराई हुई जवानी का आनन्द भोग रहे थे। लग रहा था कि समय रुक जाये ... <p>तन एक ही रहे ... वीर्य कभी भी स्खलित ना हो ... मीठी मीठी सी शरीर में लहर चलती ही रहे......।</p><p>पाठको, जैसा कि आपको मालूम है कि यह एक काल्पनिक कहानी है, वास्तविकता से इसका कोई लेना देना नहीं है... और यह मात्र आपके मनोरंजन की दृष्टि से लिखी गई है। यदि आपको <p>लगता है कि यह कहानी मनोरंजन करती है तो प्लीज, एक बार लण्ड को कस कर पकड़ कर मुठ जरूर मार लें।</p><p>धन्यवाद !</p>vaibhavhttp://www.blogger.com/profile/01652022498729782173noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1314120281820141369.post-40824951598920260822010-04-03T22:52:00.000-07:002010-04-03T22:53:07.132-07:00यह दिल मांगे मोर<p>मैं आज अपने मायके आ गई, सोचा कि कुछ समय अपने भाई और माता पिता के साथ गुजार लूँ। मेरी माँ और पिता एक सरकरी विभाग में काम करते हैं, भैया कॉलेज में पढ़ता है। आप जानते हैं ना चुदाई एक ऐसी चीज़ है जिसके बिना हम लड़कियाँ तो बिल्कुल नहीं रह पाती। यहां मायके में भी यही हाल हुआ। ये चूत है कि लण्ड मांगे मोर...। बोबे भी फ़ड़क उठते हैं... गांड भी लण्ड दिखते ही लचकदार होकर अदाएँ दिखाने लगती है... चाल ही बदल जाती है। देखने वाला भी समझ जाता है कि अब ये लण्ड की भूखी है। बाहर से हम चाहे जितनी भी गम्भीर लगें, सोबर लगें पर हमारी नजरें तो पैन्ट के अन्दर लण्ड तक उतर जाती हैं। लड़कों का खड़ा लण्ड नजर आने लगता है।</p><p>मैं खिड़की पर खड़ी सब्जी काट रही थी की भैया आया और बिना इधर उधर देखे बाहर ही दीवार पर अपना लण्ड निकाल कर पेशाब करने लगा। मेरा दिल धक से रह गया। इतना बड़ा और मोटा लण्ड... भैया ने पेशाब किया और लण्ड को झटका और पेण्ट में घुसा लिया। मैं तुरन्त एक तरफ़ हो गयी। भैया अन्दर आ गया और मुझे रसोई में देख कर थोड़ा विचलित हो गया ... उसे लगा को शायद मैने उसे पेशाब करते हुये देख लिया है।</p><p>"ये खिड़की क्या खुली हुई थी..."</p><p>"हां क्यो, क्या बात है..."</p><p>"नहीं यू ही बस ...।"</p><p>"हां... तुम वहा पेशाब कर रहे थे न..." मैं मुस्कराई और उसकी पेन्ट की तरफ़ देखा</p><p>भैया शर्मा गया। </p><p>"धत्त , तुझे शरम नही मुझे देखते हुये"</p><p>"शरम कैसी... ये तो सबके होता है ना, बस तेरा थोड़ा सा बड़ा है..."</p><p>"दीदी..." वो शरमा कर बाहर चला गया। मुझे हंसी आ गयी। हां, मेरा दिल जरूर मचल गया हा। पर भैया भी चालू निकला, वो जब भी खिड़की खुली देखता तो वहा पेशाब करने खड़ा हो जाता था... और मुझे अब वो जान करके अपना लण्ड दिखाता था। मेरा मन विचलित होता गया। एक बार मैने उससे कह ही दिया...</p><p>"बबलू... तू रोज़ ही वहा पेशाब क्यो करता है रे..."</p><p>"मुझे अच्छा लगता है वहां"</p><p>"... या मुझे दिखाता है...अपना वो..."</p><p>"दीदी, आप भी तो देखती हो ना... फिर ये तो सबका एक सा होता है ना..."</p><p>" जा रे... तू दिखायेगा तो मैं देखूंगी ही ना... फिर..." मैं शर्मा सी उठी</p><p>"दीदी... तेरी तो शादी हो गई है...तुझे क्या..."</p><p>"अच्छा छोड़, मैं स्टूल पर चढ कर वो समान उतारती हू, तू मेरा ध्यान रखना...मैं कही गिर ना जाऊ"</p><p>मैं स्टूल पर चढी, और कहा "बबलू... मेरी कमर थाम ले...और ध्यान रखना..."</p><p>समान उतार कर मैं ज्योही स्टूल पर से उतरी बबलू ने मुझे उतरते हुये अपनी तरफ़ खींच लिया। </p><p>"धीरे धीरे दीदी..."और उसने मुझे ऐसे उतारना चालू किया कि मेरे बोबे तक दबा डाले धीरे धीरे सरकते हुए वो मुझे नीचे उतारने लगा और मेरे चूतड़ उससे चिपकते हुए उसके लण्ड तक पहुंच गये। अब हाल ये था की मेरे दोनो बोबे उसके कब्जे में थे और उसका लण्ड मेरे पटीकोट को दबाते हुए गाण्ड में घुस गया था। उसके मोटे लण्ड का स्पर्श मैं अपने दोनो चुतड़ो के बीच महसूस कर रही थी। मैने उसे देखा तो उसकी आंखे बंद थी... और मुझे वो कस कर जकड़ा था। शायद उसे मजा आ रहा था। मुझे बहुत ही मजा आने लगा था। पर शराफ़त का तकाजा था कि एक बार तो कह ही दू..."अरे छोड़ ना...क्या कर रहा है..."</p><p>"ओह दीदी... मुझे ना क्या हो गया था... सॉरी..."</p><p>"बड़े प्यार से सॉरी कह दिया... "मैने उसकी हिम्मत बढाई।</p><p>"दीदी क्या करू बस आपको देख कर प्यार उमड़ पड़ता है..."</p><p>"और वो जो खड़ा हो जाता है... उसका क्या"</p><p>"दीदी... वो तो पता नही , बस हो गया था" और मुस्कराता हुआ बाहर चला गया।</p><p>रात को सब सो गये तब मन में वासना जाग उठी। भैया के अन्दर का शैतान जाग उठा और मेरी अन्तर्वासना जाग उठी। जवान जिस्मो को अब खेल चाहिये था। दोनो के तन बदन में आग लगी हुई थी। कैसे शैतान ने काम किया कि हम दोनो को एक दूसरे की जरुरत महसूस होने लगी । हम दोनो लेटे हुये एक दूसरे को देख रहे थे... आंखो ही आंखो में वासना भरे इशारे हो रहे थे। भैया ने तो अपना लण्ड ही दबाना शुरू कर दिया, मैने भी उसे देख कर अपने होंठ दांतो से काट लिये। मैने उसे अपने बोबे अपना ब्लाऊज नीचे खींच कर दिखा दिये और दबा भी दिये। अब मैने चादर के अन्दर ही अपनी पेण्टी उतार दी और ब्रा खींच कर खोल दी। पेटीकोट को ऊपर उठा लिया... और अपनी चूत सहलाने लगी। ऊपर साफ़ दिख रहा था मेरा चूत का मसलना...</p><p>"दीदी, आप यही क्यो नही आ जाती , अपन बाते करेंगे"</p><p>"क्या बात करेंगे... मुझे पता है... तुझे भी पता है...आजा मेरे भैया..."</p><p>हम दोनो बिस्तर से उतर कर खड़े हो गये। धीरे धीरे एक दूसरे के समीप आ गये और फिर हम दोनो आपस में लिपट पड़े। मेरा अस्त व्यस्त ब्लाऊज और पेटीकोट धीले हो कर जाने कब नीचे खिसक गये, उसका पजामा भी नीचे उतर गया। हम नंगे खड़े थे। हम दोनो अब एक दूसरे को चूमने लगे। उसका लण्ड मेरी नगी चूत पर ठोकरे मारने लगा।</p><p>मैं भी निशाना लगा कर लण्ड को लपकने की कोशिश करने लगी कि उसे अन्दर ले लूं। हम दोनो के नगे और चिकने जिस्म रगड़ खाने लगे। जाने हम दोनो के होंठ कब एक दूसरे से चिपक गये। बबलू ने खुद को नीचे करते हुए मेरी गीली चूत में लण्ड घुसाने कोशिश करने लगा। उसका लण्ड मुझे यहा वहा रगड़ खा कर मस्ती दे रहा था। मेरी चूत अब लप लप करने लगी थी। तभी लगा की लण्ड ने चूत में प्रवेश कर लिया है। मैने अपनी एक टांग कुर्सी पर रख ली और चूत का द्वार और खोल दिया। लण्ड अन्दर घुस पड़ा। मीठा मीठा सा मजा आने लगा ... मैने भी अपनी चूत उसके लण्ड पर दबा दी , उसका लण्ड पूरा अन्दर तक उतर गया।</p><p>अब मैने अपनी टांग नीचे कर ली। और भैया को जकड़ लिया। हम एक दूसरे से चिपके हुये कमर को हौले हौले चलाने लग गये। गीली और चिकनी चूत में लण्ड अन्दर बाहर फ़िसलने लगा। मुझे चुदाई का नशा सा आने लगा। बबलू का मोटा लण्ड मुझे भरपूर मजा दे रहा था। हम काफ़ी देर तक यू ही वासना की कसक भरी मस्ती लेते रहे। वो धीरे धीरे मुझे चोदता रहा... अब मुझे लगा कि कही मैं झड़ ना जाऊ... पर देर हो चुकी थी...मेरी चूत में पानी उतरने लगा था, सब्र टूट रहा था... मेरी सांसे जोर से चलने लगी और मेरा पानी छूट पड़ा। पर मैं उससे चिपकी रही। भैया मुझे हौले हौले चोदता ही रहा। धीरे धीरे मुझे फिर से चुदने का मजा आने लगा। मैं फिर से उसे पकड़ कर चिपट गयी। वो मेरे बोबे दबाता रहा और चोदता रहा, उसमें दम था...</p><p>“दीदी ... अब उल्टी हो जाओ दूसरा मजा भी लू क्या ?”</p><p>“मेरे प्यारे भैया ... हाय रे गान्ड चोदेगा क्या...” उसने हां में सर हिलाया। मैं उसकी तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गयी। उसने मुझे घोड़ी जैसा झुकाया और झुक कर देखा, पास में पड़ी शीशी से क्रीम निकाली और गाण्ड में भर दी।</p><p>“क्रीम मत लगा, मेरी गाण्ड तो वैसे ही खुली हुई है... खूब लण्ड खा लेती है...” मैने उसे बताया पर तब तक उसका लौड़ा मेरी गाण्ड में घुस चुका था। लण्ड गाण्ड में कसता हुआ जा रहा था पर दर्द नही हुआ। बस एक मीठी सी सुरसुरी होने लगी। उसका लौड़ा मेरी गाण्ड में पूरा अन्दर तक बैठ गया था।</p><p>मैने फ़्री स्टाईल में कमर हिलानी शुरू कर दी पर भैया को मजा चाहिये था, सो उसने मुझे सीधा खड़ा कर दिया और और मेरी पीठ अपने से चिपका ली । मेरे बड़े बड़े बोबे थाम कर उसे मसलना चालू कर दिया और लण्ड को हौले हौले गाण्ड में चलाने लगा। लण्ड का पूरा मजा आ रहा था। उसका साईज़ मेरे चूतड़ो तक को महसूस हो रहा था मुझे अब थोड़ी सी इस पोज में तकलीफ़ होने लगी थी सो मैं अब झुकने लगी और घोड़ी बनने लगी चुदते चुदते ही मैने अपने अपने हाथ कुर्सी पर टिका दिये और अपने पांव खोल दिये। उसका लण्ड अब अच्छी तरह से तेज चलने लगा। मैने भी चूतड़ो कि ताल में हिला कर गाण्ड मरवाने लगी। अब मुझे भी मस्ती आने लगी थी। भैया गाण्ड मारने में माहिर था। अब तो मेरी चूत भी फिर से तैयार थी, भैया ने मेरा इशारा समझा और लण्ड को गाण्ड में से निकाल कर फिर से चूत में पिरो दिया। मेरी चूत में मजे की तरावट आ गयी। खूब गुदगुदी भरी मिठास उठने लगी।</p><p>मैने भी चूत को गाण्ड के साथ नचाना शुरू कर दिया और मजा तेजआने लगा। चूत के पानी का चिकनापन से चोदते समय फ़च फ़च की आवाज आने लगी थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमट कर रह गई थी। मस्ती सर पर चढ चुकी थी। चुदाई जोरो पर थी। भैया तूफ़ानी गति से कस कर धक्के मार रहा था। मेरी चूत बेहाल हो उठी थी। अब लग रहा था कि मेरा माल निकलने वाला है... उत्तेजना चरम दौर पर थी... चूत पर लण्ड की चोट मुझे मस्त किये दे रही थी। अचानक भैया ने लण्ड मेरी चूत में दबा दिया और मेरी कमर कस कर भींच दी । <p>“दीदी... दीदी... हाय... आह्ह्ह ... मेरा लण्ड गया... दीदी... मेरा निकला...ऊईईईईई...ऐह्ह्ह्ह्ह्ह्...”</p><p>तभी मेरी भी सारी नसे जैसे खिंच उठी और मैं तड़प उठी। मेरा भी पानी जैसे अन्दर से उबल पड़ा और मैं झड़ने लगी। तभी भैया के लण्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी। लण्ड बाहर निकाल कर सारा वीर्य छोड़ दिया। उसका लण्ड रह रह कर रस बरसा रहा था। मेरी गाण्ड पूरी वीर्य से तर हो चुकी थी। वो लगता था थक गया था। उसने पास पड़े कपड़े से मेरे चूतड़ साफ़ कर दिये और अपना लण्ड भी पोंछ डाला। हम दोनो फिर से आपस में लिपट गये और प्यार करने लगे।</p><p>अब हम एक ही बिस्तर में लेटे थे और एक दूसरे के साथ खेल खेलने लगे थे। मुझे तो उसे फिर से उत्तेजित करना था। मेरा तो रात भर का कार्यक्रम था... कुछ देर में भैया फिर से तैयार था ... उसका लण्ड कड़क हो चुका था... मैं भी चुदने को तैयार थी... उसने मेरे ऊपर चढ कर मुझे दबा डाला... और उसका लण्ड एक बार फिर से मेरी चूत में घुसता चला गया... मेरी सिसकारिया मुख से फ़ूट उठी... लण्ड और चूत का घमासान युद्ध होने </p>vaibhavhttp://www.blogger.com/profile/01652022498729782173noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1314120281820141369.post-57986301130497632352010-04-03T22:50:00.000-07:002010-04-03T22:51:19.022-07:00भाई बहन का प्यार<p>सबसे पहले मैं आप लोगों को पात्र-परिचय करा दूँ ! </p><p>संजय : 25 साल, शादीशुदा युवक </p><p>मनोहर : संजय के पिताजी </p><p>सीता देवी : संजय की माताजी </p><p>सुष्मिता : संजय की बुआ </p><p>सुरेन्द्र : संजय के फ़ूफ़ा (सुष्मिता बुआ के पति) </p><p>सविता : 22 साल, संजय की बहन </p><p>निर्मला : 22 साल, संजय की बुआ की लड़की</p><p>अशोक : 27 साल का संजय की बुआ का लड़का</p><p>सुधा : 26 साल की संजय की भाभी (अशोक की बीवी) </p><p>सब लोग मुंबई में ही रहते हैं : संजय का परिवार मीरा रोड पर और बुआ का परिवार रहता है अंधेरी वेस्ट पर ! </p><p>यह बात छः महीने पहले की है जब संजय के पिताजी मनोहर ने सुरेन्द्र से दो लाख रुपए कुछ महीने पहले उधार लिए थे। </p><p>तो एक दिन पिताजी ने संजय को दो लाख रुपए से भरा बैग देकर कहा- ज़ाओ अपनी बुआ के घर जा कर यह दे आओ।</p><p>संजय नाश्ता करके बैग लेकर सीधा अपनी बुआ के घर पहुँच गया। समय दोपहर का एक बजा होगा। </p><p>आगे की कहानी संजय की जुबानी !</p><p>मैंने डोर-बेल बजाई लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। मैंने 3 बार कोशिश की लेकिन किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला। मैंने दरवाज़े को धक्का दिया तो दरवाज़ा खुल गया, मैं जूते निकाल कर दरवाज़े को बंद करके सीधा अंदर गया और बुआ को आवाज़ देने लगा। </p><p>फिर मैं सीधा किचन में गया। वहाँ पर भी कोई नहीं था। फिर मैंने बुआ के बेडरूम के पास जा कर देखा कि बेड रूम लॉक है। मैं वहाँ से निर्मला के बेडरूम के पास गया और दरवाज़े को धकेला, दरवाज़ा खुला ही था। मैं अंदर गया और देखा कि निर्मला सिर्फ़ लाल रंग की पैंटी पहने हुए थी और अपने बाल तौलिये से सुखा रही थी। </p><p>वाह ! क्या नज़ारा था ! क्या मम्मे-चूची थी- एकदम दूध की तरह सफेद और गोल-गोल और कड़क और उसका फिगर- वाऽऽह ! 32-34 मम्मे, 25 कमर और 34 गाण्ड !</p><p>और मेरा लंड पैन्ट में खड़ा होने लगा। मेरे अंदर की वासना जाग गई क्योंकि मैंने एक महीने से चुदाई नहीं की थी क्योंकि मेरी पत्नी की तबीयत खराब चल रही थी और डॉक्टर ने साफ मना किया था।</p><p>मैंने सोचा- मस्त माल है क्यों ना मज़ा ले लूं ! मैंने बैग को नीचे रखा और सीधा निर्मला के पीछे गया और चूचियों पर हाथ रख कर गर्दन पर चुम्बन करने लगा।</p><p>निर्मला एक दम घबरा गई और मेरा हाथ पकड़ कर चिल्लाई- कौन हो तुम> यह क्या कर रहे हो? निकल ज़ाओ मेरे कमरे से बाहर !!</p><p>तो मैंने उसके कान में धीरे से कहा- मैं हूँ तुम्हारा संजू ! ( सब लोग मुझे संजू कहकर बुलाते थे)</p><p>संजू !! (उसने मेरी आवाज़ से पहचान लिया था) तुम यह क्या कर रहे हो?</p><p>मैंने कहा- कुछ नहीं ! </p><p>तुम अंदर कैसे आए?</p><p>मैंने कहा- दरवाज़ा खुला था और मैंने जब बुआ और तुमको आवाज़ लगाई तो किसी ने जवाब नहीं दिया तो मैं तुम्हारे कमरे में देखने आया कि तुम हो या नहीं ! और अंदर आकर देखा तो तुम नंगी खड़ी हो। </p><p>इतना कहते ही मैंने फिर निर्मला को अपनी बाहों में लिया और चूची पर हाथ रख कर धीरे धीरे मसलने लगा और उसकी तारीफ करने लगा- तुम कितनी सुंदर हो ! ऐसी सुंदर लड़की मैंने आज तक नहीं देखी। गले पर चूमने लगा और लंड को उसकी गाण्ड पर रगड़ने लगा। </p><p>निर्मला छटपटाने लगी और बोली- मुझे छोड़ दो भैया !</p><p>मैंने कहा- निर्मला, प्लीज़ !</p><p>और एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी पैन्टी में डालने लगा और बोला- निर्मला तुम असल में अप्सरा से भी बहुत सुंदर हो ! अगर तुम मेरी पत्नी होती तो मैं तुमसे ही चिपका रहता ! एक पल भी अलग नहीं होता। </p><p>इतने में निर्मला ने मुझे धक्का दिया और कहने लगी- नहीं भैया ! यह पाप है आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते ! तुम अपनी बहन के साथ ऐसा नहीं कर सकते !</p><p>मैंने कहा- मैं तुम्हारा भाई नहीं हूँ, हम आज से हम दोस्त हैं बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड की तरह ! और दोस्ती में यह सब ज़ायज़ है।</p><p>मैं अपने दोनों हाथों से निर्मला के चेहरे को पकड़ कर चूमने लगा और एक हाथ से बाईं बूब को मसलने लगा। मैंने फिर निर्मला को बेड पर लिटा लिया और निर्मला के उपर आकर चूची को मुँह में लेकर को चूसने लगा और एक हाथ को चूत के ऊपर रख कर मसलने लगा। </p><p>दोस्तो, अब निर्मला ने साथ देना शुरू कर दिया और धीरे धीरे बोलने लगी- नहीं भैया ! प्लीज़ मत करिए !</p><p>और मैंने खड़े होकर जल्दी से अपने कपड़े उतारे और पूरा नंगा हो गया। फिर मैं निर्मला के ऊपर आया और उसको बाहों में लेकर आंख से आंख मिलाकर कहने लगा- वास्तव में तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो ! आई लव यू ! निर्मला आई लव यू ! निर्मला आज मैं बहुत खुश हूँ कि एक अप्सरा जैसी लड़की के साथ मस्ती कर रहा हूँ !</p><p>वो अपनी आँखें बंद करके बोली- भैया आप बहुत गंदे हो ! मैं आपके साथ कभी भी बात नहीं करूंगी !</p><p>मैंने कुछ नहीं कहा और एक हाथ से चूची की घुंडी को ज़ोऱ-ज़ोऱ से मसलने लगा और वो छटपटाने लगी और सिसकारी निकालने लगी- ओइए माआआआ ओइए ! माआआआआआ !</p><p>मैंने भी उसे चूमना चालू कर दिया और वो भी साथ देने लगी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली तो वो भी मेरी जीभ को चूसने का प्रयास करने लगी। करीब 5 मिनट के बाद मैंने उस का हाथ लेकर मेरे लंबे और मोटे लंड पर रख कर कहा- लो मेरे लंड से खेलो !</p><p>वो शरम के मारे आंख बंद करते हुए हाथ छुड़ाकर बोली- नहीं ! मैं नहीं खेलूंगी, तुम मुझे छोड़ दो !</p><p>मैंने कहा- एक बार हाथ में लोगी तो फिर कभी नहीं छोड़ोगी ! और उसको ज़बरदस्ती हाथ में पकड़ा दिया और उसका हाथ पकड़ कर हिलाने लगा। मेरा लंड करीब 9 इंच का है और हाथ लगने से और भी टाइट और लंबा होकर तड़पने लगा। निर्मला उसको देख कर घबरा गई और बोली- यह तो बहुत ही बड़ा है ! मैं नहीं लूंगी अपने हाथ में ! मुझे डऱ लगता है !</p><p>मैंने कहा- कैसा डर ? तुम एक जवान लड़की हो ! इस लंड को आज कल की लड़कियाँ अपनी चूत में लेने के लिए तड़पती हैं तुम इतनी बड़ी हो कर भी डरती हो ? कल जब तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारा पति तुमको सुहागरात में चोदेगा तो तुम क्या करोगी ? डर के मारे तुम वापस अपने मायके आओगी या फिर पति से चुदवाओगी? </p><p>निर्मला बोली- तुम इतनी गन्दी बात क्यों कर रहे हो? मुझे तो बहुत शरम आ रही है, प्लीज़ ऐसी गंदी बात मत कऱो !</p><p>मैंने कहा- निर्मला तूने कभी अपनी मम्मी और डैडी की चुदाई देखी है?</p><p>दोस्तो, मैं उसकी शरम को हटाना चाहता था और उसको पूरी तरह से उकसा रहा था और मैं उसका हाथ अपने लंड पर रख कर धीरे धीरे से सहलाने लगा था।</p><p>तो वो बोली- नहीं !</p><p>इसलिए तो तुम को मालूम नहीं है कि चुदाई करते समय किस किस तरह की बातें होती हैं !</p><p>उसने मुझसे पूछा- भैया, आप भी भाभी के साथ ऐसे ही बातें करते हो?</p><p>मैंने कहा- हाँ !इससे भी ज्यादा गंदी !</p><p>तो वो आश्चर्य-चकित होते हुए बोली- आपको शरम नहीं आती?</p><p>मैंने कहा- पहले बहुत शरम आती थी, अब नहीं ! क्योंकि हम लोगों आदत पड़ गई है और हमको सिखाने वाली कौन है, तुमको पता है ? नहीं ? अगर बता दिया तो तुम पागल हो जाओगी सुन कर ! और शायद तुम मेरा विश्वास भी नहीं करोगी !</p><p>तो वो बोली- कौन है?</p><p>मैंने कहा- पहले तुम अन्दाज़ा करो ! बाद में मैं तुम्हें बताऊंगा !</p><p>वो बोली- तुमको बताना हो तो बताओ, नहीं तो भाड़ में जाओ !</p><p>मैंने कहा- बताता हूँ- और बोल पड़ा- तुम्हारी मम्मी ! मेरा मतलब- बुआ !</p><p>तो बोली- मेरी मम्मी ?</p><p>मैंने कहा- हाँ ! तेरी मम्मी !</p><p>मैं नहीं मानती !</p><p>मैंने कहा- मत मानो ! लेकिन मैंने तुम्हें अगर सबूत दिया तो तुम मुझे क्या दोगी?</p><p>वो बोली- पहले सबूत, बाद में मैं तुझे क्या दूँगी, तुम को बाद में पता चल जाएगा !</p><p>तो मैंने कहा- तुम को एक काम करना पड़ेगा !</p><p>क्या, कैसा काम ? मैं कोई काम नहीं करूंगी !</p><p>मैंने कहा- ऐसा वैसा कुछ नहीं बस मेरी आइडिया मानो और मैं जो कहूँ, तुम वैसा करो !</p><p>दोस्तो मैं बातें करते हुए उसकी चूत में अंगूठाअ और उंगली डाल कर दाने को मसलने लगा था, वो बातें करते हुए तड़प रही थी और मेरे को बोल रही थी कि छोड़ दो भैया प्लीज़ ! आप ऐसा मत करो ! मुझे बहुत दर्द हो रहा है ! आप बहुत खराब हैं ! </p><p>मैंने उसे कहा- आज रात को जब सब लोग सो जाए तो तुम बिना आवाज़ किए ही मम्मी के कमरे के दरवाजे पर अपना कान लगा कर उनकी बातें सुनना ! तभी तुम को पता चलेगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा है !</p><p>तो बोली- ठीक है ! मैं आज ही पता कर लूंगी !</p><p>मैं चूत में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा और अब वो मेरे काबू में आने लगी और मीठी मीठी सिसकारी लेने लगी। उसकी चूत से पानी भी बहने लगा था। मैंने अब नीचे आकर उसकी चूत को हाथों से खोला और चूत के पास मुँह रख कर चूत को सूंघने लगा।</p><p>वाह ! क्या मीठी सुगंध थी ! ऐसी सुगंध तो मोंट ब्लांक के पर्फ्यूम में भी नहीं आती होगी ! मैं तो पूरा मदहोश हो गया और स्वर्गलोक के कमल के फूल की कल्पना करने लगा।</p><p>तभी निर्मला बोली- भैया, वहाँ मुँह लगाकर क्या कर रहे हो ?</p><p>मैंने कोई ध्यान नहीं दिया और मैं चूत सूंघने में मस्त था। तो निर्मला मेरे बाल खींच कर बोली- भैया, क्या कर रहे हो?</p><p>मैंने सिर उठा कर कहा- कुछ नहीं डार्लिंग ! तुम्हारी चूत ने तो मुझे पागल कर दिया है ! यह कह कर मैं उसकी चूची चूसने लगा और उंगली को चूत में डाल कर आगे पीछे करने लगा। तभी वो बोली- भैया, मुझे कुछ हो रहा है ! प्लीज़ आप मुझे छोड़ दो !</p><p>मैंने कहा- क्या हो रहा है?</p><p>तो बोली- मेरी चूत से कुछ आने वाला है !</p><p>मैंने कहा- प्लीज़ रुको ! और मैं मुँह को नीचे ले कर चूत में जीभ डाल कर चूत को चाटने लगा औऱ एक हाथ से उसकी चूची को मसलने लगा और वो पूरी पागलों की तरह होकर बोली- प्लीज़ भैया ! जल्दी कऱो ! नहीं तो मैं मर जाऊँगी !</p><p>मैं जल्दी जल्दी उसकी चूत को चाटने लगा और हाथ से उसकी चूची मसलने लगा। करीब पाँच मिनट में ही वो ज़ोऱ से आऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ कर के झड़ गई और सारा चूतरस (प्रेमरस) मेरे मुँह में छोड़ दिया। मैंने पूरा माल चाट चाट कर साफ किया।</p><p>तभी मैंने उससे पूछा- मज़ा आया या नहीं ?</p><p>तो शरमाते हुए बोली- भैया प्लीज़ !</p><p>मैंने कहा- अब आगे का खेल खेलें या नहीं?</p><p>तो बोली- इससे आगे का खेल कौन सा है?</p><p>मैंने उसे सीधे ही कहा- अब मैं तुझे चोदूँगा !</p><p>तो बोली- कैसे?</p><p>मैंने लंड हाथ में लेकर हिलाते हुए उसकी चूत पर हाथ रखकर कहा- मैं इसे तुम्हारी चूत में डाल कर ज़ोऱ से चोदूँगा !</p>तो बोली- भैया, प्लीज़ आप अभी मुझे छोड़ दो ! आप कल कर लेना ! <p></p><p>मैंने कहा- क्यों?</p><p>तो बोली- मुझे कहीं जाना है ! और मैं पहले ही लेट हो गई हूँ ! प्लीज़ मुझे जाने दें, मैं आपसे वादा करती हूँ !</p><p>तो दोस्तो, मैंने भी कोई जबरदस्ती न करते हुए उसके चूचुक को मुँह में लेकर हल्का सा काट कर कहा- मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ, मैं तेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करूंगा ! तुम जब तुम्हारी मर्जी हो, मुझे बुला लेना, मैं हाज़िर हो जाऊंगा !</p><p>मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर आकर हाल में बैठ कर टीवी. चला कर सोफ़ा पर बैठ गया। तभी वो पाँच मिनट के बाद निर्मला बाहर आई, मुझसे बोली- तुम आए क्यों थे?</p><p>मैं भी भूल गया था कि मेरे पास कैश का बैग था। मैंने कहा- तुम्हारे कमरे में मेरा कैश का बैग पड़ा है, मैं कैश देने आया था। लेकिन बुआ घर में नहीं थी तो मैंने सोचा कि तुम को दे दूँ। तो बोली- बैग कहाँ है?</p><p>मैंने कहा- तुम्हारे कमरे में कुर्सी के पास रखा है, तुम मुझे बैग ला कर दे दो।</p><p>निर्मला बैग लेने कमरे में गई। मैं भी पीछे गया और निर्मला को पकड़ कर घुमाया और उसके वक्ष मसलते हुए चूमने लगा। वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर घुमाने लगी। करीब़ पाँच मिनट के बाद हम अलग हुए और मैंने बैग निर्मला के हाथ में देकर कहा- यह बैग अपने पापा को दे देना और सेल पर बात करा देना ! और मैंने अपना सेल नम्बर उसे दे दिया।</p><p>और मैंने भी उसका सेल नम्बर ले लिया। उसको कहा- यह बात तुम किसी से मत करना और मैं भी किसी से नहीं कहूँगा, क्योंकि इसमें तुम्हारी और मेरे खानदान का इज़्ज़्त का सवाल है।</p><p>निर्मला बोली- मैं नहीं कहूँगी !</p><p>मैंने कहा- तुम्हारी फ्रेंड्स को भी नहीं बताना !</p><p>वो बोली- नहीं बताऊंगी भैया ! आप मुझे इतना भी बेवकूफ़ मत समझो !</p><p>मैंने कहा- ठीक है ! तुम मुझे फोन करोगी या मैं तुझे फोन करूँ?</p><p>तो बोली- मैं तुझे फोन करूंगी !</p><p>मैंने कहा- प्रॉमिस?</p><p>तो बोली- प्रॉमिस !</p><p>मैंने कहा- बाय ! </p><p>और मैं घर से निकल गया और सीधा घर आकर सो गया। कब रात के नौ बजे, मुझे पता ही नहीं चला। मम्मी ने मुझे जगाया। मैं खाना खाकर घूमने चला गया, रात को ग्यारह बजे घर आकर सो गया। </p>vaibhavhttp://www.blogger.com/profile/01652022498729782173noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1314120281820141369.post-57643701606538465722010-04-03T22:46:00.000-07:002010-04-03T22:48:30.191-07:00समीर की सेक्स कहानी .<p>मैं गुड़गांव में रहता हूँ। यह बात उस समय की है जब हमारे पड़ोस में एक लड़की अपने मामा के यहाँ रहने आई। उसका नाम मोनिका था। वो बिहार की रहने वाली थी, उसका रंग सांवला था पर उसके स्तन एकदम सेब की तरह टाइट थे। उसके कूल्हे मस्त थे, जब वो चलती थी तो उसके कूल्हों की उठा-पटक देख कर गली के लड़कों के लंड ज़िप तोड़ने के लिये बेकरार हो जाते थे।</p><p>वो कभी-कभी हमारे घर टीवी पर मूवी देखने आ जाती थी। जब वो हमारे यहाँ आती थी तो मेरी नजरें सिर्फ़ उसके कूल्हों पर ही रहती थी। उसके स्तन उसकी चोली को फाड़ने के लिये बेबस होते नजर आते थे।</p><p>एक दिन हमारे घर के सभी लोग एक शादी में गये थे। उस दिन जब वो हमारे यहां आई तब मैं अपने घर में इंगलिश मूवी देख रहा था, वो चुपचाप आकर मेरे पीछे खड़ी हो गई मैंने उसे नहीं देखा, मूवी में चुदाई का सीन आ रहा था, लड़का अपना लंड लड़की की गांड में दे कर चुदाई का मजा लूट रहा था। मैं भी अपने मोटे लंड को हाथों में लेकर बैठा था, मेरा लौड़ा टाइट होता जा रहा था, अचानक पीछे रखे गिलास के लुढ़कने की आवाज आई तो मैंने घूम कर देखा तो मोनिका मेरे पीछे खड़ी मूवी को बड़े ध्यान से देख रही थी, उसकी आंखें बिल्कुल लाल हो रही थी। मैंने जल्दी से पास पड़े तौलिए को उठा कर अपने लौड़े पर डाल लिया।</p><p>वो भी सकपका गई। मैंने उसको अपने पास बैठने के लिये बोला तो वो आकर बैठ गई। मैंने उससे पूछा- तुम कब आई?</p><p>तो वो शरमाते हुए बोली- जब हीरो हिरोइन को किस कर रहा था, तब !</p><p>मैं समझ गया कि उसने पूरी चुदाई देखी है। मैंने उसके हाथ को छुआ तो वो पूरी कांप रही थी, मेरे हाथ पकड़ने का उसने कोई विरोध नहीं किया। मैं समझ गया कि आज तो जिंदगी का मजा लूटा जा सकता है। मैंने उससे पूछा- आज हमारे यहीं रूकोगी क्या ? क्योंकि आज हमारे यहां भी कोई नहीं है।</p><p>मैं यह जानना चाहता था कि उसके मन में क्या है, तो वो बोली- मुझे डर लगता है !</p><p>मेरा लौड़ा चोदने के लिये बेकरार था, उसने लाल रंग की गहरे गले की चोली पहन रखी थी, उसके स्तन ऊपर से बाहर झांक रहे थे, वो बहुत सेक्सी लग रही थी।</p><p>मैंने उसको खाने के लिये स्वीट्स दी, मैंने टीवी का चैनल नहीं बदला। थोड़ी देर बाद फिर चुदाई के दृश्य आये तो मैं उसकी तरफ़ देखने लगा, उसकी आंखें सेक्स से भरी नजर आ रही थी।</p><p>हीरो ने जैसे ही अपना लौड़ा बाहर निकाला तो उसके मुँह से उफ निकला मेरा लौड़ा भी टाइट हो रहा था, मैंने उसके कंधों पर अपना हाथ रखा तो वो बिल्कुल मेरे करीब आ गई। मेरे हिम्मत बढ़ गई, मैं अपने हाथ को धीरे-धीरे उसके वक्ष के ऊपर ले जाकर उनको सहलाने लगा। उसके मुँह से मीठी-मीठी आवाजें आने लगी। मैंने उसकी चोली को धीरे से ऊपर सरकाना शुरु कर दिया। नीचे उसने ब्रा भी नहीं पहन रखी थी। वो मस्त होती जा रही थी।</p><p>वो बोली- मुझे डर लग रहा है !</p><p>मैंने पूछा- क्यों जान?</p><p>तो वो बोली- मैंने आज तक सेक्स नहीं किया है !</p><p>मैंने सोचा कि मुझे बना रही है, मैं बोला- डरो मत ! मैं सिखा दूंगा।</p><p>मैंने उसकी चूत पर अपना हाथ रख दिया तो देखा कि उसकी चूत ने पानी छोड़ रखा था। मैं धीरे-धीरे उसकी चूत को सहलाने लगा। उसने मुझे बाहों में भर लिया। मैंने उसकी कच्छी को उतार दिया, वो शरमा गई। फिर मैंने उसको कहा कि अब वो मेरे कच्छे को उतार दे।</p><p>वो फ़िर शरमा गई, तब मैंने अपने लंड को आजाद कर लिया। वो मेरे लंड को प्यासी नजरों से देखने लगी और बोली- यह तो बहुत मोटा है मेरी चूत तो फट जायेगी ?</p><p>मैंने कहा- रानी यह तुझे जवानी के मजे देगा !</p><p>वो बोली- अब मैं क्या करूं ?</p><p>तो मैंने कहा- जिस तरह फ़िल्म की हिरोइन कर रही थी, वैसे ही कर !</p><p>उसने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और हिलाने लगी। फिर धीरे से लौड़े को अपने मुँह में लेने लगी। मेरा लंड इतना मोटा था कि उसके मुँह में नहीं आ रहा था। वो उसे चाटने लगी। मेरा लंड बार-बार हिल रहा था। उसको लंड चाटने में मजा आ रहा था, वो बोली- यह इतना मस्त लग रहा है कि दिल कर रहा है कि इसको खा जाऊं !</p><p>मैंने कहा- जान, अगर तो इसको खा जायेगी तो मैं तुझे कैसे चोदूंगा ?</p><p>फिर धीरे-धीरे उसने लंड के टोपे को मुँह में ले ही लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैं अब उसकी चूत में अपनी उंगली डालने के लिये चूत पर घुमाने लगा। उसकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे उसकी चूत बिल्कुत उभरी हुई थी। पर मेरी उंगली उस चूत में आगे नहीं बढ़ी तो मैं समझ गया कि वो बिल्कुल अनछुई है। मैं बहुत खुश हुआ कि आज तो कुंवारी चूत की सील तोड़ने का मौका मिल ही गया।</p><p>मैंने उसको बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले गया, उसको बड़े प्यार से बेड पर लिटा दिया। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। उसके कूल्हे वास्तव में जैसे बाहर से दिखते थे उससे भी कहीं ज्यादा गोल और कसे थे।मैंने उसे कहा- अपनी टांगें चौड़ी कर ले !</p><p>उसने वैसा ही किया। अब मेरा लौड़ा उसकी सील तोड़ने के लिये मस्त हो रहा था।</p><p>मैंने अपने लंड को आगे किया और कुंवारी चूत से भिड़ाया तो वो मस्ती से हिल पड़ी। मैं शॉट लगाने को बिल्कुल तैयार था, मैंने अपने लौड़े को उसकी चूत में थोड़ा सा लगा कर अन्दर किया तो वो चिल्ला पड़ी- हाय ! मेरी चूत फट जायेगी !</p><p>तब मैंने अपने लंड को वापस बाहर निकाल कर उस पर क्रीम लगाई। अब वापस लौड़ा उसकी चूत में डालने लगा तो वो दर्द से तड़प उठी, अपने कूल्हों को हिलाने लगी तो मैंने कहा- जान, बस एक बार थोड़ा सा दर्द होगा, फिर जिंदगी भर तुम लंड के मजे ले सकती हो।</p><p>वो बोली- आज तो मैं मजे लेकर रहूंगी !</p><p>उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मेरे लौड़ा आठ इंच का है, मैंने धीरे-धीरे लौड़े को चूत में डालना शुरू किया। दो धक्के मारने पर लंड का टोपा उसकी मस्त चूत में घुस गया। वो दर्द से तड़प गई। मैं दो मिनट के लिये वैसे ही लेटा रहा। उसने अपनी चूत को जैसे ही थोड़ा ढीला किया, मैंने एक जोर का झटका मारा तो मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा घुस गया।</p><p>वो बुरी तरह चिल्ला उठी- हाय, मार डाला !</p><p>उसकी चूत से गरम-गरम खून आने लगा। शायद उसने नहीं देखा, मैं कुछ देर रुक गया।</p><p>थोड़ी देर में उसने अपने कूल्हे हिलाने शुरू कर दिये तो मैं समझ गया कि अब दर्द कम हो रहा है। बस फिर मैं अपने लंड को हिलाने लगा उसकी चूत में मेरा लंड टकराने लगा। वो कस-कस कर लंड का स्वाद लेने लगी। मैं बीस मिनट तक उसकी चूत को अपने लंड से चोदता रहा।</p><p>अब वो भी पूरे मजे ले रही थी। मेरा लंड टाइट चूत में टकरा २ कर घायल हो गया। उसकी मस्त चूत ने पानी छोड़ दिया उसकी चुदाई में मुझे बहुत मजा आ रहा था। मेरा लंड उसकी चूत को नहलाने को तैयार था। मेरे लंड की तेज पिचकारी ने उसकी चूत को पूरा भर दिया, उसने अपनी टांगें जब तक ढीली नहीं की जब तक मेरे वीर्य की आखिरी बूंद नहीं निकल गई।</p><p>अब हम दोनों अलग हो गये तो वो बहुत खुश नजर आ रही थी, मेरे होंठों पर चूम कर वो बोली- राजा, आज तूने मुझे लड़की होने का मजा दे दिया ! आज मैं पूरी रात इस मजे को लूंगी !</p><p>मैंने भी कह दिया- तेरी सील बहुत टाइट थी पर मेरे इस लंड ने आखिर उसे फाड़ ही दिया।</p><p>वो बोली- तेरा लंड नहीं। यह तो हथौड़ा है ! यह दीवार में भी छेद कर दे ! यह तो मेरी कुंवारी चूत थी।</p><p>फिर वो रसोई में जाकर दूध ले आई, हम दोनों ने दूध पिया। तब उसने चादर को बदल दिया, बोली- इसे बाद में धोएंगे, पहले लंड का और मजा तो ले लूँ। मैं बाथरूम में जाकर अपने लंड को धो आया, आज मैं बहुत खुश था, वापस आते ही उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया। वो बोली- आज इसने मेहनत की है, देखो, लाल हो गया है।</p><p>थोड़ी देर में मेरा लंड फिर चुदाई के लिये तैयार था। इस बार मैंने उसको कुतिया बना कर चोदा। वो आज बहुत खुश थी। यारो, क्या बताऊँ कि जिंदगी में मैंने ऐसी चुदाई पहली बार की।</p><p>उसके बाद वो अपने घर बिहार वापस चली गई पर दोबारा आने को कह गई। अब इन्तजार है कि अगले महीने वो आयेगी तो आगे की कहानी फिर आने पर सुनाउंगा।</p>vaibhavhttp://www.blogger.com/profile/01652022498729782173noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1314120281820141369.post-39759544226986430952010-04-03T22:41:00.000-07:002010-04-03T22:43:49.975-07:00Rajesh uncle ke sath sex.<p> </p><p>हम तीन सहेलियाँ हैं रोज़ी, पिंकी और मैं पायल !</p><p>मैं अपनी दोनों सहेलियों से एक साल बड़ी हूँ, बीमार होने की वजह से मेरी एक क्लास ड्राप हो गई थी। मुझे समय से पहले ही जवानी आने लगी है, अब तो मैं काफी बड़ी लगने लगी हूँ।</p><p>मैं अक्सर शाम को रोज़ी के घर चली जाती हूँ, उसमें अभी भी बचपना सा है। हम एक साथ खेलती, कूदती हैं। उसने घर की पीछे के हिस्से में बेडमिंटन का जाल लगा रखा है। राजेश अंकल रोज़ी के पापा हैं, वो देखने में ही ठरकी किस्म के हैं, उनकी नज़रें मेरी छातियो पर ज्यादा टिकती हैं और अब मैं यह जान चुकी थी कि वो मुझ में कुछ ज्यादा ध्यान देने लगे, मैं सब समझती थी क्यूंकि मैं भी रोज़ रात को कंप्यूटर पर बैठ चेटिंग,सर्फिंग, वेबसाइट्स देखती और पढ़ती हूँ, मुझे सब चीज़ों का पता है, हिंदी में इन सबको क्या कहते हैं, मैं सब नेट से जान चुकी हूँ।</p><p>मैं भी शाम को स्कर्ट पहन कर जाती थी, जब मैं उछलती तो स्कर्ट उड़ती, अंकल अखबार सामने रख चोरी-चोरी मेरी चिकनी जांघें देख अपना लौड़ा खुजलाते। वैसे अब बाहर भी कई लड़के मेरे चारों तरफ मंडराने लगे हैं, फिर तो अंकल बढ़ने लगे और मुझे कहते- तुझे खेलना सिखाता हूँ !</p><p>मुझे मालूम था कि वो क्या खेल सिखाना चाहते थे। बहाने से मुझे छूते। उनके स्पर्श से मुझे कुछ होने लगता। कभी रैकट पकड़ना सिखाने के बहाने पीछे से मेरी गांड पर अपना लौड़ा रगड़ते, अंकल को मालूम था कि मैं सब जानती हूँ क्यूंकि एक दिन जब वो मेरे पीछे आये थे तो मैंने खुद गांड पीछे दबा दी थी।</p><p>एक दिन शाम को जब मैं वहां गई तो रोज़ी घर पर नहीं थी, ना ही उसकी मम्मी और उसका छोटा भाई !</p><p>शनिवार था, वो अपने नानी के घर गई हुई थी, मैं वापस आने लगी तो अंकल बोले- आ जा ! मेरे साथ खेल ले बेडमिन्टन !</p><p>न जाने मुझे क्यूँ लगा कि अंकल ने आज जानबूझ कर सब को घर से भेजा है ताकि वो मुझ से मजे कर सकें !</p><p>नहीं अंकल ! कल आऊँगी ! कहकर मैं मुड़ने लगी ही थी कि उन्होंने मेरी कलाई पकड़ मुझे अपनी तरफ खींच लिया। एक झटके में मैं उनकी बाँहों में थी, मेरा चेहरा उनके चेहरे के बहुत करीब था, अंकल ने ताज़ी शेव की थी, उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए !</p><p>मैं भी उनके चुम्बन का प्रत्युत्तर देने लगी। नीचे से उनका दूसरा हाथ मेरी स्कर्ट में था। मुझे बहुत मजा आ रहा था, अंकल ने मेरे होंठ छोड़ते हुए कहा- चल, बिस्तर में चलते हैं !</p><p>मैंने थोड़ा ड्रामा करते हुए कहा- नहीं ! यह सब ठीक नहीं है, मुझे जाने दो !</p><p>मुझे कस कर बाँहों में भर अंकल बोले- आज मौका है रानी, तुझे जन्नत दिखाता हूँ !</p><p>मुझे बाँहों में उठा अपने बेडरूम में ले गए और मेरी स्कर्ट खोल दी और पैंटी नीचे करते ही अपने होंठ मेरी कुंवारी चूत पर रख दिए।</p><p>बहुत ठरकी थे वो !</p><p>मुझे मजा आने लगा. वो इस तरह चूत चाट रहे थे जैसे बहुत मीठी हो ! मैं पूरी गर्म हो चुकी थी। अंकल ने ने अपना सब कुछ उतार दिया मुझे 69 की अवस्था में आने को कहा। मैं उनके ऊपर थी, उन्होंने पकड़ कर लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया और मैं चूसने लगी। बहुत मजेदार लौड़ा था उनका ! जो मैंने इन्टरनेट पर देखा था, सब वही खेल मेरे सामने था। अंकल की पूरी जुबान मेरी चूत में घुस जाती, जब वो अन्दर घुमाते तो मैं पागल होकर उनका लौड़ा चूसती !</p><p>कुतिया मज़ा आ रहा है? कभी पहले किसी ने चूसी है तेरी?</p><p>नहीं अंकल !</p><p>कोई यार बनाया है अभी तक तुम दोनों ने ?</p><p>क्या ऊँगली डालती हो तुम सहेलियाँ एक दूसरी की चूत में ?</p><p>नहीं अंकल ! नहीं डालती !</p><p>लौड़ा डलवाएगी मेरा ?</p><p>हाँ अंकल !</p><p>कुछ कुछ हो रहा है !</p><p>हाय मेरी जान ! देख बुड्ढे का लौड़ा है ! पसंद है तुझे ?</p><p>हां पसंद है जानू ! फक मी ! अब कुछ करो !</p><p>मैंने अब खुद पकड़कर मुँह में डाल लिया और चूसने लगी।</p><p>वाह मुन्नी वाह ! अंकल बोले- चल कर टांगें चौड़ी कर और देख जलवा !</p><p>अंकल ने लौड़ा चूत पर रखते हुए झटका दिया, उसका टोपा मेरी चूत की फांको में फंस गया।</p><p>दर्द से हिल गई मैं !</p><p>छोड़ दो अंकल ! अभी छोटी है मेरी ! यह नहीं सहेगी !</p><p>चल कुतिया ! रंडी साली ! मुझे सब मालूम है- एक साथ तीनों कमरे में घुस कर इन्टरनेट पर क्या क्या देखती हो !</p><p>थोड़ा तेल लगा अंकल ने झटका मारा, उनका आधा लौड़ा चूत में फंस गया। मैं बेहोश होने लगी। खून से उनका लौड़ा लथपथ हो चुका था, झिल्ली फट चुकी थी एक और झटके में पूरा जड़ तक घुस गया। अंकल ने मेरे होंठ नहीं छोड़े ताकि आवाज़ न निकले !</p><p>फिर सारा लौड़ा निकाल कर साफ़ किया, चूत को साफ़ किया, तेल लगाया और फिर से घुसा दिया !</p><p>अब थोड़ा आराम से घिसता हुआ चला गया। फिर निकाला और फिर से थोड़ा तेल लगा कर डाला और अब मजे से आगे पीछे होने लगा। मुझे अब सब दर्द भूल गया। नीचे से गांड अपने आप उठने लगी झटकों के साथ साथ !</p><p>वो कभी एक चुचूक चूसते कभी दूसरा ! कभी कभी पूरा मम्मा मुँह में डाल लेते ! मेरी आंखें मस्ती से बंद होने लगी ! अंकल की रफ़्तार बढ़ने लगी। मैं एक बार झड़ चुकी थी। मेरी गर्मी से उनका भी पिघल गया और तेज़ तेज़ झटकों के साथ उन्होंने मेरी चूत अपने रस से भर दी और मुझे चुदाई का सुख दिया। मैं मस्ती में इतनी पागल हो चुकी थी कि आंखें नहीं खुल रही थी। वो काफी देर मेरे नंगे जिस्म को सहलाते, दबाते रहे। उसके बाद अगले दिन सुबह ही आने को कहा।</p><p>उसके बाद क्या-क्या हुआ। यह जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहो और मुझे मेल करो !</p><p>जल्दी ही अगले भाग के साथ आपके सामने हाज़िर हूँगी !</p><p>बाय बाय !<br /></p>vaibhavhttp://www.blogger.com/profile/01652022498729782173noreply@blogger.com0